अपने 2 माह के विदेश भ्रमण के पश्चात् फेसबुक समूहों को देखने पर पाया की अब पाठक अपनी प्रतिक्रिया देने में संकोच करने लगे हैं ? सोचा था भारत लौट कर 2 माह के अनुभवों का आदान प्रदान करेंगे। अपनी व्यवस्था की त्रुटियों को सुधारने के बिन्दुओं के साथ अपनी विशेषताओं का तुलनात्मक अध्ययन भी किया है। इन सब पर चर्चा का भी विचार था ! किन्तु यहाँ तो प्रतिक्रियाहीन पाठकों की चुप्पी ने मुझे चकित कर दिया है ! ऐसा क्या हो गया इन 2 माह में कि सब सहमे सहमे से लगते हैं। यह सब देख कर लगता है जैसे फिल्म शहीद की वो पंक्तियाँ "एक से क्यों दूसरा करता नहीं कुछ बात है चुप तेरी महफ़िल में है, सरफरोशी की तमन्ना ..." वाली स्थिति बन गयी हो। और मेरी स्थिति आगे दौड़ पीछे छोड़ वाले बच्चे जैसी हो गई है। लगता है मेरे भारत को किसी दूसरे की नहीं अपनी ही सरकार के तन्त्र की बुरी नियति की नजर लगी है। जो संभवत: सरफरोशों के रक्त से ही धुलेगी। यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, योग्यता व क्षमता विद्यमान है! आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक
रविवार, 26 अगस्त 2012
शुक्रवार, 24 अगस्त 2012
असम के दंगे बांग्लादेशी घुसपैठ का परिणाम
असम के दंगे बांग्लादेशी घुसपैठ का परिणाम तरुण विजय
असम
प्रांत भारत की संस्कृति, आध्यात्मिक परंपरा और वीरता का प्रतीक रहा है।
यही वह ऐसा क्षेत्र है जहां के अहोम राजाओं की शक्ति से मुगल भी घबराते थे।
आज वही असम भारत के छदम् सेक्यूलरवाद तथा मुस्लिम तुष्टीकरण की अनीति के
कारण जल रहा है। इस प्रांत के बोडो जनजातीय बहुल क्षेत्र के चार जिलों-
कोकराझार, चिरांग, बोंगाईगांव और बक्सा में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों
के हिंदू बोडो लोगों पर हमले में अभी तक सरकारी सूत्रों के अनुसार 38 लोग
मारे जा चुके हैं तथा एक लाख से अधिक पलायन कर सरकारी राहत शिविरों में शरण
के लिए बाध्य हुए हैं। कोकराझार और उदारलगुड़ी से मिल रहे समाचार अत्यंत
भयावह हैं और गैर सरकारी सूत्रों के अनुसार माना जाता है कि 100 से अधिक
लोग मारे जा चुके होंगे, सैंकड़ों घर ध्वस्त कर दिए गए हैं और कम से कम ढाई
लाख लोग बेघर हो गए हैं। किन्तु दिल्ली अपने जश्न में व्यस्त है।
घटना
19 जुलाई, 2012 को ऑल बोडो लैंड माइनोरिटी स्टूडेंट्स यूनियन नामक मुस्लिम
छात्र संगठन के अध्यक्ष मोहिबुल इस्लाम और उसके साथी अब्दुल सिद्दीक शेख
पर मोटर साइकिल पर सवार दो अनजान युवाओं द्वारा गोली चलाने के बाद भड़की।
कुछ समय से वहां दो मुस्लिम छात्र संगठनों में आपसी प्रतिस्पर्द्धा के कारण
तनाव चल रहा था और गोलीबारी भी केवल घायल करने के उद्देश्य से घुटने के
नीचे की गयी किन्तु स्थानीय बांग्लादेशी मुस्लिम गुटों ने इसका आरोप बोडो
हिंदुओं पर लगाकर शाम को घर लौट रहे चार बोडो नौजवानों को पकड़कर उन्हें
वहशियाना ढंग से तड़पा-तड़पाकर इस प्रकार मारा कि उनकी टुकड़ा-टुकड़ा देह
पहचान में भी बहुत मुश्किल से आयी। इसके साथ ही ओन्ताईबाड़ी, गोसाईंगांव
नामक इलाके में बोडो जनजातीय समाज के अत्यंत प्राचीन और प्रतिष्ठित ब्रह्मा
मंदिर को जला दिया गया। इसकी बोडो समाज में स्वाभाविक प्रतिक्रिया हुई।
आश्चर्य की बात यह है कि प्रदेश सरकार और पुलिस को घटना की पूरी जानकारी
होने के बाद भी न सुरक्षा बल भेजे गए और न ही कोई कार्यवाही की गयी। यद्वपि
बोडो स्वायतशासी क्षेत्र के चार जिलों धुबरी, बोंगाईगांव, उदालगुड़ी और
कोकराझार में बोडो बड़ी संख्या में हैं किन्तु उनसे सटे धुबरी जिले की
अधिकांश जनसंख्या बांग्लादेशी मुस्लिमों से युक्त है। वहां कोकराझार की
प्रतिक्रिया में हिंदू छात्रों के एक होस्टल को जला दिया गया और 24 जुलाई
को इन्हीं की एक भीड़ ने राजधानी एक्सप्रेस पर हमला कर दिया। फलतः अनेक
रेलगाडि़यां रद्द कर दी गयीं और विभिन्न स्टेशनों पर हजारों यात्री बैठे
हुए हैं। बांग्लादेशी मुस्लिमों की हिंसा 400 गांवों तक फैल चुकी है और
भारत के देशभक्त नागरिक अपने ही देश में विदेशी घुसपैठियों के हमलों से डर
कर शरणार्थी बनने पर बाध्य हुए हैं।
असम में 42 से
अधिक विधानसभा क्षेत्र ऐसे हो गए हैं जहां बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिये
निर्णायक बहुमत हैं। लूट, हत्या, बोडो लड़कियां भगाकर जबरन धर्मांतरण और
बोडो जनजातियों की भूमि पर अतिक्रमण वहां की आम वारदातें मानी जाती हैं।
ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी किनारे पर बोडो क्षेत्र है, जहां 1975 के आंदोलन
के बाद बोडो स्वायत्तशासी परिषद् की स्थापना हुई, जिससे कोकराझार, बक्सा,
चिरांग और उदालगुड़ी जिले हैं। इस परिषद् का मुख्यालय कोकराझार में है।
बोडो लोग सदा बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के हमलों का शिकार होते आए
हैं। दो साल पहले हावरिया पेट नामक गांव में स्थापित मदरसे के लिए वहां के
मुस्लिमों ने काली मंदिर परिसर में शौचालय बनाने की कोशिश की थी, जिसका जब
स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो दो बांग्लादेशी हिंदू युवाओं की हत्या की
गयी। एक अन्य घटना में इसी क्षेत्र में जब एक घुसपैठिये मुस्लिम युवक ने
बोडो घर में घुसकर युवती से बलात्कार की कोशिश की और पकड़ा गया तो
गांववालों ने उसकी पिटाई की। कुछ देर में उसके गांव के मुस्लिम भी आ गए,
जिन्होंने भी उस युवक को पीटा फलतः उसकी मृत्यु हो गयी। अब घबराकर उन
मुस्लिम गांववालों ने भी हिंदुओं पर आरोप लगा दिया और फलतः पूरे गांव को
लूट लिया गया।
इस प्रकार के सांप्रदायिकता को
क्षेत्र के विद्रोही आतंकवादी संगठन मुस्लिम यूनाईटेड लिबरेशन टाईगर्स ऑफ
असम (मुलटा) से समर्थन मिलता है और मुस्लिमों की भावनाएं भड़काने में ऑल
माईनोरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (आमसू) का भी हाथ रहता है। उल्लेखनीय है कि
आमसू को प्रदेश सरकार से भी प्रोत्साहन और समर्थन मिलता है। इस प्रकार इस
क्षेत्र में बांग्लादेशी मुस्लिमों और हिंदु बोडो के बीच लगातार तनाव रहता
ही है।
सरकार भी बोडो जनजातियों की समस्याओं पर तब
तक ध्यान नहीं देती जब तक कोई भयंकर आगजनी या दंगा न हो। बोडोलैण्ड
स्वायत्तशासी परिषद् को 300 करोड़ रुपये की बजट सहायता मिलती है जबकि
समझौते के अनुसार आबादी के अनुपात से उन्हें 1500 करोड़ रुपये की सहायता
मिलनी चाहिए। केंद्रीय सहायता के लिए भी बोडो स्वायत्तशासी परिषद को प्रदेश
सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को आवेदन भेजना पड़ता है जिसे प्रदेश
सरकार जानबूझकर विलंब से भेजती है और केंद्र में सुनवाई नहीं होती। इसके
अलावा बोडो जनजातियों को असम के ही दो क्षेत्रों में मान्यता नहीं दी गयी है।
कारबीआंगलोंग तथा नार्थ कछार हिल में बोडो को जनजातीय नहीं माना जाता और न
ही असम के मैदानी क्षेत्रों में। जबकि बोडो जनजातियों के लिए असम में
स्वायत्त परिषद् बनी और बाकी देश में बोडो अनुसूचित जनजाति की सूची में है।
10 फरवरी, 2003 को एक बड़े आंदोलन के बाद असम और केंद्र सरकार ने माना था
कि यह विसंगति दूर की जाएगी किन्तु इस बीच अन्य जनजातियों जैसे- हाजोंग,
गारो, दिमासा, लालुंग आदि को असम के सभी क्षेत्रों में समान रूप से
अनुसूचित जनजाति की सूची में डाल दिया गया सिवाय बोडो लोगों के।
केंद्र
सरकार और प्रदेश सरकार में वोट बैंक राजनीति के कारण विदेशी घुसपैठियों को
शरण देकर सत्ता में आने की लालसा के कारण देश का भविष्य इन विदेशियों के
कारण रक्तरंजित होता दिखता है। आज बांग्लादेशी घुसपैठिये जो उपद्रव असम में
स्वदेशी और देशभक्त जनता के विरुद्ध कर रहे हैं, वहीं उपद्रव जड़ जमाने के
बाद दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता में बैठे बड़ी संख्या में बांग्लादेशी
घुसपैठिये कर सकते हैं। किन्तु तब तक पानी सिर से ऊपर गुजर चुका होगा। क्या
तब तक भारतीय समाज और राजनेता केवल चुनावी शतरंज खेलते रहेंगे?
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है! आओ मिलकर इसे बनायें- तिलकमंगलवार, 14 अगस्त 2012
स्वतंत्रता दिवस पर 'गली गली चोर है',
आज के दिन हम जाने व सोचें:- रंगमंच व मनोरंजन के अन्य राग रंग से भरपूर स्वस्थ पारिवारिक कार्यक्रम, जिनमें कहीं घटियापन स्वीकार नहीं ! मनोज कुमार, राजश्री फिल्म, जैसे उच्च स्तर की पारिवारिक व रामानंद सागर की धार्मिक वृति की झलक द्वारा हम आपके ह्रदय में अपना स्थान बनाने का प्रयास करेगे! कहीं समाज हित में निशुल्क सेवा, कहीं कॉपी राइट के दबाव में मनोरंजन शुल्क, कहीं सदा के लिए dvd लेना चाहें तो उनका पता या हमारे द्वारा क्रय सुविधा देते हुए, कुछ अंश दिखाए जा सकते है ! वन्देमातरम ...तिलक.
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है! आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक http://www.youtube.com/user/DDManoranjan/videos?view=1
रक्षा बंधन के दिन; एक ऐसी प्रस्तुति जिस में भाई बहन के पवित्र सम्बन्ध की भावनाओं व अपनत्व को बचपन से अंत तक दर्शाता कथानक हो, कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जन्म लीला और स्वतंत्रता दिवस पर कर्मा व क्रांति और वर्तमान भ्रष्टाचार के सामयिक विषय पर - 'गली गली में चोर है', के माध्यम जन जागरण, सभी के लिए उचित रहेगा! तिलक, संपादक युग दर्पण 9911111611.
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है! आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक http://www.youtube.com/user/DDManoranjan/videos?view=1
रक्षा बंधन के दिन; एक ऐसी प्रस्तुति जिस में भाई बहन के पवित्र सम्बन्ध की भावनाओं व अपनत्व को बचपन से अंत तक दर्शाता कथानक हो, कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जन्म लीला और स्वतंत्रता दिवस पर कर्मा व क्रांति और वर्तमान भ्रष्टाचार के सामयिक विषय पर - 'गली गली में चोर है', के माध्यम जन जागरण, सभी के लिए उचित रहेगा! तिलक, संपादक युग दर्पण 9911111611.
रविवार, 27 मई 2012
क्या आप जानते व मानते हैं:
क्या आप जानते व मानते हैं:
(1)*.... (+) "कि भारत, कभी विश्व गुरु, सोने की चिड़िया, सर्व गुण, सर्व शक्ति एवं सर्व विधाओं ही नहीं प्रकृति की सभी संपदाओं से सुसज्जित एक वैभवशाली देवभूमि है! धर्म, तत्व, दर्शन, कला, साहित्य, कृति, प्रकृति, संस्कृति, इतिहास, ज्ञान-विज्ञान, शिक्षा, संस्कार, आचार विचार से समृद्ध आदर्श राष्ट्र रहा है ? जिसे समय के चक्र ने आज इस दुर्दशा तक पहुंचा दिया है !(-) नहीं, मुग़ल व मैकालेवादी तथा शर्म निरपेक्ष इतिहासकारों के इतिहास को मानते हैं ?
(2)* ....(+) धरती केवल भूमि का एक टुकड़ा मात्र नहीं हमारी माता है, मै भारत माता का पुत्र(सपूत): हम राम, कृष्ण से लेकर विक्रमादित्य, चन्द्रगुप्त, पृथ्वी चौहान, शिवाजी, प्रताप, जैसे महा प्रतापी महापुरुषों के वंशज हैं; इस सोच का हर व्यक्ति बिना किसी भेद भाव के मेरा अपना है, मैं उसका हूँ !
(-) नहीं, मैं सांप्रदायिक (राष्ट्रवादी) नहीं (शर्म निरपेक्ष, राष्ट्र घाती) हूँ ?
(3)* ....(+) एक ओर विश्व को परिवार मानने की हमारी परंपरा है, तथा दूसरी ओर विश्व को बाज़ार मानती पश्चिम की सोच व बाप की जागीर मानती धारणाओं से, भारत को कलुषित करने वाली शर्म निरपेक्षता, जिस से भारत को बचा कर ही विश्व का कल्याण संभव है !
(-) नहीं, पश्चिम का अन्धानुकरण ही विकास व प्रगति का मार्ग है, जो ठीक है ?
(4)* ....(+) हमारे देश की स्वतंत्रता के बाद हर सपना चूर चूर करने वाली राज नीति, कांग्रेस की ही देन है, उनके बनाये इस तंत्र के कारण अन्य दल उसका अनुसरण करने को बाध्य हुए ! इसलिए भ्रष्टाचार, असामाजिक वातावरण, अनैतिकता, हर अपराध, हर बीमारी व उसके जन्म का कारण भी कांग्रेस ही है व संरक्षक भी ! इस स्थिति को बदलने की हर आवाज़ को खरीद कर यथास्थिति बनाये रखने की राज नीति का साथी व समाज में गन्दगी फ़ैलाने वाला बिकाऊ भांड मीडिया हर गलत चीज का समर्थन करता है ! इसे बदलना होगा ! क्या, आप भी ऐसा सोचते व परिवर्तन करना चाहते हैं ?
(-) नहीं, सब कुछ ठीक ठाक है !
(5)* ....(+) अब तक जितने भी ऐसे प्रयास हुए एकांगी होने से सत्ता परिवर्तन तक सीमित रहे, आवश्यकता एक व्यापक परिवर्तन की है !
(-) नहीं, यथा स्थिति बनी रहे !
यदि उपरोक्त 5 प्रश्नों के उत्तर में आप सोचते हैं: शर्म निरपेक्षता के इन 5 (-) का यह "राष्ट्र विरोधी हाथ" पराजित हो, इसके लिए एक जुट हो, अपनी संपूर्ण शक्ति लगाकर हम सब "अपना अपना (+) हाथ" उठाकर विरोध करेंगे !
तिलक संपादक मिडिया समूह 9911111611, 9654675533, tilak@yugdarpan.com, yugdarpan@gmail.com, yugdarpanh@rediff.com, yugdarpanh@yahoo.com
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है! आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक
बुधवार, 16 मई 2012
17, मई 2012 आज 17 वीं पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन
माँ, जो गर्भ से मृत्यु तक, हर पल अपने बच्चों के हर दुःख सुख की साथी, जिसकी गोद हर पीड़ा का हरण करती है। बचपन ही नहीं वृद्धावस्था व् जीवन के अंत तक हर पल जब भी तुझे स्मरण करता हूँ भाव विहल हो जाता हूँ। माँ, तेरी याद बहुत आती है, ....माँ, तेरी याद बहुत आती है।
माँ, इन 2 वर्षों में दामाद और बहु भी हो गए हैं शीघ्र ही अगली पीडी भी हो जाएगी। दामाद- सिद्धार्थ है, तथा बहू शालिमा है। तिलक- संपादक युग दर्पण मीडिया समूह, 9911111611, 9654675533.यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,
आजभी इसमें वह गुण,योग्यता
व क्षमता विद्यमान है!
आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक
मंगलवार, 15 मई 2012
क्या पूर्वोत्तर भारत का यह सत्य झुठलाया जा सकता है ?
क्या पूर्वोत्तर भारत का यह सत्य झुठलाया जा सकता है ?
पूर्वोत्तर भारत में अब चर्च के निशाने पर सेना, राज्य व केंद्र सरकारें- राष्ट्र द्रोह की मूक समर्थक व पोषक ।
उल्फा, एन.एस.सी.एन. (आईएम), माओवादी तथा आईएसआई- पूर्वोत्तर भारत में तबाही मचाने की, इन चारों ने समन्वित योजना बना रखी है।
--जगदम्बा मल्ल
1) नागालैण्ड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, असम और अरुणाचल प्रदेश में आतंकवादियों-अलगाववादियों के द्वारा जारी हिंसा के कारण सामान्य जनता का जीना दूभर हो गया है।
2) पूर्वोत्तर भारत में चारों ओर हत्या, जबरन धन वसूली, अपहरण, शराब तथा अन्य मादक पदार्थों सहित हथियारों की तस्करी आदि अपराधों का बोलबाला है। इन सभी कुकृत्यों के पीछे अलगाववादियों-आतंकवादियों, ईसाई मिशनरियों, शत्रु देशों द्वारा प्रायोजित गैरसरकारी संगठनों, कथित मानवाधिकारवादी संगठनों और आई.एस.आई का हाथ है।
3) उल्फा, एनएससीएन (आईएम) तथा अन्य आतंकवादी संगठनों के साथ केन्द्र सरकार का जो संघर्ष विराम समझौता हुआ है, उसमें किए गये प्रावधानॉ के कारण राज्य पुलिस को अपनी सुरक्षा में भी गोली चलाने का अधिकार नहीं है। इन आतंकवादियों को जो लोग अपने घरों में शरण देते हैं, उनको भी सजा देने का कोई नियम-कानून नहीं है।
4) ईसाई मिशनरियों द्वारा अवैध शस्त्र व्यापार, देह व्यापार, लड़के-लड़कियों को नौकरी के नाम पर बेचने की घटनाएं तथा मादक पदार्थों की तस्करी की घटनाएं नागा समाज को उद्वेलित कर रही हैं।
5) गत 9 मार्च को एक बहुचर्चित पादरी ए पुनी को असम रायफल्स के जवानों ने उसके घर से अवैध हथियारों के साथ धर दबोचा। यह पादरी एनएससीएन (आईएम) का एक पदाधिकारी है तथा उसका रेड कार्ड नं 003 है। इसके घर से एके 56 रायफलें तथा अन्य घातक हथियार बरामद हुए हैं।
6) एनएससीएन (आईएम) का प्रमुख मुइवा कथित रूप से नागालैण्ड की आजादी की लड़ाई लड़ रहा है। नागा मिशनरियां शांति प्रचारक बनकर अशांति और घृणा फैला रही हैं। नागालैण्ड की सरकार सरकारी खजाने की लूट में व्यस्त है और केन्द्र सरकार अपने विरोधाभासों में ही उलझी हुई है।
7) दो दशक पूर्व तक अरुणाचल प्रदेश में ईसाइयों का नामोनिशान तक नहीं था। तब वहां चारों तरफ शांति थी। ईसाई मिशनरियों के प्रवेश करते ही अरुणाचल ड्रेगन फोर्स (एडीएफ), नेशनल ड्रेगन फोर्स (एनडीएफ) तथा ताई-सिंग्फो सेक्यूरिटी फोर्स (टीएसएसएफ) नामक आतंकवादी संगठन बन गये। एनएससीएन (आईएम) के हेब्रान स्थित शिविर में उनको प्रशिक्षित किया गया।
8) माओवादी/नक्सलवादी, आईएसआई तथा उल्फा भी यहां सक्रिय हैं और यहां की शांतिप्रिय जनता का खून चूस रहे हैं। धन बसूली, अपहरण, मतान्तरण, हत्या तथा देह-व्यापार के लिए लड़कियों की कालाबाजारी यहां बेरोकटोक चल रही है। ।
9) अरुणाचल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री नाबाम टकी निशी जाति के कट्टर ईसाई हैं, दोनों कैथोलिक बिशपों, नागा आतंकवादियों, नागा ईसाई मिशनरियों तथा विदेश-पोषित गैरसरकारी संगठनों ने सोनिया गांधी की मदद से नाबाम को मुख्यमंत्री पद पर आसीन करने में सफलता पा ली है। इस कारण यहां चर्च को खुला मैदान मिल गया है। अरुणाचल में मतांतरण व आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए देश-विदेश से सैकड़ों करोड़ रुपए आ रहे हैं और चर्च इस काम में लगा हुआ है। जो इनका विरोध करता है उसकी हत्या हो जाती है अथवा उसका कुछ पता ही नहीं चलता।
10) मणिपुर का दर्द- संपूर्ण उत्तर पूर्वांचल में मणिपुर के हालात सबसे अधिक खराब हैं। गुप्तचर एजेंसियों का मानना है कि प्रतिवर्ष 20 से 30 किलो हेरोइन म्यांमार से मणिपुर आती है।
11) चीन में शरण लेने वाले उल्फा, एनएससीएन (आईएम) यूएनएलएफ, पीएलए तथा अन्य आतंकवादी संगठनों के प्रमुख नेता मणिपुर के चूराचांदपुर, चन्देल, उखरूल, सेनापति व तमेंडलांड जिलों में पोस्ता उत्पादन के लिए धन उपलब्ध कर रहे हैं। हेरोइन बनाने वाले कई कारखानों का संचालन कर रहे हैं।
12) यहां एनएससीएन (आईएम), यूएनएलएफ, पीएलए, यूएनसी तथा चर्च का गठबंधन बन गया है। आईएसआई भी इन सबकी सहायता कर रहा है। सभी ग्रामों में चर्च बनाए जा रहे हैं, मदरसों व मस्जिदों का विस्तार होता जा रहा है और माओवादी इकाइयों का गोपनीय गठन होता जा रहा है।
13) यदि केन्द्र सरकार ने 42,000 जवानों को मणिपुर में तैनात नहीं किया होता, तो वहां 28 जनवरी को विधानसभा चुनाव इन आतंकवादियों के उत्पात के कारण नहीं हो पाते। फिर भी वहां सैकड़ों लोग मारे गये। सेना भी उनको बचा नहीं पायी, क्योंकि सेना के हाथ बंधे थे, उन्हें खुली छूट नहीं दी गई थी। मणिपुर की पीड़ित व निर्दोष जनता इन सबके विरुद्ध आवाज उठाना चाहती है, किन्तु हिंसा के डर से उसकी आवाज बन्द है।
14) असम के हालात- असम में उल्फा (परेश गुट) का आतंक जारी है। 7 अप्रैल को नेशनल रिफाइनरी लिमिटेड लि. (गुवाहाटी) में उल्फा ने अपने स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आग लगा दी, करोड़ों की क्षति हुई। उल्फा, एन.एस.सी.एन. (आईएम), माओवादी तथा आईएसआई- इन चारों ने समन्वित योजना बनाकर असम में तबाही मचाने की ठान रखी है। कल्पना करें यदि सेना वहां न होती तो स्थिति कैसी होती ?
15) मेघालय- समय-समय पर मेघालय में भी आतंकवाद सर उठाता रहता है। इस समय गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी (जीएनएलए) तथा आचिक नेशनल वालेंटियर काउंसिल का उत्पात अपनी चरम सीमा पर है। ये दोनों ही चर्च प्रायोजित आतंकवादी संगठन हैं जिनका उल्फा, एनएससीएन (आईएम) तथा माओवादियों से गठबंधन है। धन उगाही के लिए अपहरण की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं।
16) पूर्वोत्तर में अन्तरराष्ट्रीय षड्यंत्र- 30 किमी. चौड़े सिलीगुड़ी गलियारे (चिकन नेक) को काटकर पूरे उत्तर पूर्वांचल को शेष भारत से अलग कर देने की योजना बनाकर अमरीका, ब्रिटेन, कोरिया, चीन, पाकिस्तान व बंगलादेश काम कर रहे हैं।
17) जहां बंगलादेश अपनी मुस्लिम आबादी यहां घुसा रहा है वहीं पाकिस्तान की आईएसआई यहां सक्रिय है। चीन ने सभी आतंकवादी प्रमुखों को निर्देशित किया है कि वे इन्डो-बर्मा रिवाल्यूशनरी फ्रण्ट (आईबीआरएफ) बनाकर संगठित हो जाएं और अपनी मारक क्षमता 30,000 प्रशिक्षित कैडर तक ले जाएं। ऐसा हो जाने पर चीन भारत पर आक्रमण कर देगा।
18) इस क्षेत्र में माओवादी बढ़ते जा रहे हैं। चर्च भी ईसाईयों की संख्या मतान्तरण के माध्यम से बढ़ाता जा रहा है। इसीलिए चीन पूरे उत्तर पूर्वांचल को निगल जाने की तैयारी में लगा हुआ है।
19) भारतीय सेना एक तरफ चीन की सेना से अन्तरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करती है तो दूसरी तरफ इन आतंकवादियों तथा अपराधी तत्वों से समाज की रक्षा करती है। ये आतंकवादी केवल सेना से डरते हैं। सेना ही उनको नियंत्रित कर पाती है। इसलिए सशस्त्र सैन्य बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) के नाम पर सेना को बदनाम करने की मुहिम चल पड़ी है।
उल्फा, एन.एस.सी.एन. (आईएम), माओवादी तथा आईएसआई- पूर्वोत्तर भारत में तबाही मचाने की, इन चारों ने समन्वित योजना बना रखी है।
--जगदम्बा मल्ल
1) नागालैण्ड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, असम और अरुणाचल प्रदेश में आतंकवादियों-अलगाववादियों के द्वारा जारी हिंसा के कारण सामान्य जनता का जीना दूभर हो गया है।
2) पूर्वोत्तर भारत में चारों ओर हत्या, जबरन धन वसूली, अपहरण, शराब तथा अन्य मादक पदार्थों सहित हथियारों की तस्करी आदि अपराधों का बोलबाला है। इन सभी कुकृत्यों के पीछे अलगाववादियों-आतंकवादियों, ईसाई मिशनरियों, शत्रु देशों द्वारा प्रायोजित गैरसरकारी संगठनों, कथित मानवाधिकारवादी संगठनों और आई.एस.आई का हाथ है।
3) उल्फा, एनएससीएन (आईएम) तथा अन्य आतंकवादी संगठनों के साथ केन्द्र सरकार का जो संघर्ष विराम समझौता हुआ है, उसमें किए गये प्रावधानॉ के कारण राज्य पुलिस को अपनी सुरक्षा में भी गोली चलाने का अधिकार नहीं है। इन आतंकवादियों को जो लोग अपने घरों में शरण देते हैं, उनको भी सजा देने का कोई नियम-कानून नहीं है।
4) ईसाई मिशनरियों द्वारा अवैध शस्त्र व्यापार, देह व्यापार, लड़के-लड़कियों को नौकरी के नाम पर बेचने की घटनाएं तथा मादक पदार्थों की तस्करी की घटनाएं नागा समाज को उद्वेलित कर रही हैं।
5) गत 9 मार्च को एक बहुचर्चित पादरी ए पुनी को असम रायफल्स के जवानों ने उसके घर से अवैध हथियारों के साथ धर दबोचा। यह पादरी एनएससीएन (आईएम) का एक पदाधिकारी है तथा उसका रेड कार्ड नं 003 है। इसके घर से एके 56 रायफलें तथा अन्य घातक हथियार बरामद हुए हैं।
6) एनएससीएन (आईएम) का प्रमुख मुइवा कथित रूप से नागालैण्ड की आजादी की लड़ाई लड़ रहा है। नागा मिशनरियां शांति प्रचारक बनकर अशांति और घृणा फैला रही हैं। नागालैण्ड की सरकार सरकारी खजाने की लूट में व्यस्त है और केन्द्र सरकार अपने विरोधाभासों में ही उलझी हुई है।
7) दो दशक पूर्व तक अरुणाचल प्रदेश में ईसाइयों का नामोनिशान तक नहीं था। तब वहां चारों तरफ शांति थी। ईसाई मिशनरियों के प्रवेश करते ही अरुणाचल ड्रेगन फोर्स (एडीएफ), नेशनल ड्रेगन फोर्स (एनडीएफ) तथा ताई-सिंग्फो सेक्यूरिटी फोर्स (टीएसएसएफ) नामक आतंकवादी संगठन बन गये। एनएससीएन (आईएम) के हेब्रान स्थित शिविर में उनको प्रशिक्षित किया गया।
8) माओवादी/नक्सलवादी, आईएसआई तथा उल्फा भी यहां सक्रिय हैं और यहां की शांतिप्रिय जनता का खून चूस रहे हैं। धन बसूली, अपहरण, मतान्तरण, हत्या तथा देह-व्यापार के लिए लड़कियों की कालाबाजारी यहां बेरोकटोक चल रही है। ।
9) अरुणाचल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री नाबाम टकी निशी जाति के कट्टर ईसाई हैं, दोनों कैथोलिक बिशपों, नागा आतंकवादियों, नागा ईसाई मिशनरियों तथा विदेश-पोषित गैरसरकारी संगठनों ने सोनिया गांधी की मदद से नाबाम को मुख्यमंत्री पद पर आसीन करने में सफलता पा ली है। इस कारण यहां चर्च को खुला मैदान मिल गया है। अरुणाचल में मतांतरण व आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए देश-विदेश से सैकड़ों करोड़ रुपए आ रहे हैं और चर्च इस काम में लगा हुआ है। जो इनका विरोध करता है उसकी हत्या हो जाती है अथवा उसका कुछ पता ही नहीं चलता।
10) मणिपुर का दर्द- संपूर्ण उत्तर पूर्वांचल में मणिपुर के हालात सबसे अधिक खराब हैं। गुप्तचर एजेंसियों का मानना है कि प्रतिवर्ष 20 से 30 किलो हेरोइन म्यांमार से मणिपुर आती है।
11) चीन में शरण लेने वाले उल्फा, एनएससीएन (आईएम) यूएनएलएफ, पीएलए तथा अन्य आतंकवादी संगठनों के प्रमुख नेता मणिपुर के चूराचांदपुर, चन्देल, उखरूल, सेनापति व तमेंडलांड जिलों में पोस्ता उत्पादन के लिए धन उपलब्ध कर रहे हैं। हेरोइन बनाने वाले कई कारखानों का संचालन कर रहे हैं।
12) यहां एनएससीएन (आईएम), यूएनएलएफ, पीएलए, यूएनसी तथा चर्च का गठबंधन बन गया है। आईएसआई भी इन सबकी सहायता कर रहा है। सभी ग्रामों में चर्च बनाए जा रहे हैं, मदरसों व मस्जिदों का विस्तार होता जा रहा है और माओवादी इकाइयों का गोपनीय गठन होता जा रहा है।
13) यदि केन्द्र सरकार ने 42,000 जवानों को मणिपुर में तैनात नहीं किया होता, तो वहां 28 जनवरी को विधानसभा चुनाव इन आतंकवादियों के उत्पात के कारण नहीं हो पाते। फिर भी वहां सैकड़ों लोग मारे गये। सेना भी उनको बचा नहीं पायी, क्योंकि सेना के हाथ बंधे थे, उन्हें खुली छूट नहीं दी गई थी। मणिपुर की पीड़ित व निर्दोष जनता इन सबके विरुद्ध आवाज उठाना चाहती है, किन्तु हिंसा के डर से उसकी आवाज बन्द है।
14) असम के हालात- असम में उल्फा (परेश गुट) का आतंक जारी है। 7 अप्रैल को नेशनल रिफाइनरी लिमिटेड लि. (गुवाहाटी) में उल्फा ने अपने स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आग लगा दी, करोड़ों की क्षति हुई। उल्फा, एन.एस.सी.एन. (आईएम), माओवादी तथा आईएसआई- इन चारों ने समन्वित योजना बनाकर असम में तबाही मचाने की ठान रखी है। कल्पना करें यदि सेना वहां न होती तो स्थिति कैसी होती ?
15) मेघालय- समय-समय पर मेघालय में भी आतंकवाद सर उठाता रहता है। इस समय गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी (जीएनएलए) तथा आचिक नेशनल वालेंटियर काउंसिल का उत्पात अपनी चरम सीमा पर है। ये दोनों ही चर्च प्रायोजित आतंकवादी संगठन हैं जिनका उल्फा, एनएससीएन (आईएम) तथा माओवादियों से गठबंधन है। धन उगाही के लिए अपहरण की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं।
16) पूर्वोत्तर में अन्तरराष्ट्रीय षड्यंत्र- 30 किमी. चौड़े सिलीगुड़ी गलियारे (चिकन नेक) को काटकर पूरे उत्तर पूर्वांचल को शेष भारत से अलग कर देने की योजना बनाकर अमरीका, ब्रिटेन, कोरिया, चीन, पाकिस्तान व बंगलादेश काम कर रहे हैं।
17) जहां बंगलादेश अपनी मुस्लिम आबादी यहां घुसा रहा है वहीं पाकिस्तान की आईएसआई यहां सक्रिय है। चीन ने सभी आतंकवादी प्रमुखों को निर्देशित किया है कि वे इन्डो-बर्मा रिवाल्यूशनरी फ्रण्ट (आईबीआरएफ) बनाकर संगठित हो जाएं और अपनी मारक क्षमता 30,000 प्रशिक्षित कैडर तक ले जाएं। ऐसा हो जाने पर चीन भारत पर आक्रमण कर देगा।
18) इस क्षेत्र में माओवादी बढ़ते जा रहे हैं। चर्च भी ईसाईयों की संख्या मतान्तरण के माध्यम से बढ़ाता जा रहा है। इसीलिए चीन पूरे उत्तर पूर्वांचल को निगल जाने की तैयारी में लगा हुआ है।
19) भारतीय सेना एक तरफ चीन की सेना से अन्तरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करती है तो दूसरी तरफ इन आतंकवादियों तथा अपराधी तत्वों से समाज की रक्षा करती है। ये आतंकवादी केवल सेना से डरते हैं। सेना ही उनको नियंत्रित कर पाती है। इसलिए सशस्त्र सैन्य बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) के नाम पर सेना को बदनाम करने की मुहिम चल पड़ी है।
20) सेना की सक्रियता एवं कर्तव्यनिष्ठा के कारण एनएससीएनई (आईएम), उल्फा, यूएनएलएफ तथा पीएलए के सभी शीर्ष नेता या तो जेल की हवा खा रहे हैं या फिर केन्द्र सरकार से शांति वार्ता कर रहे हैं। ऐसा करने के लिए वे बाध्य हैं, वरना या तो पकड़े जाएंगे या फिर मारे जाएंगे। इसलिए चर्च, चर्च-पोषित गैरसरकारी संगठन, विदेश पोषित गैरसरकारी संगठन, छद्म मानवाधिकारवादी संगठन तथा कुछ पत्रकार सशस्त्र सैन्य बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) को हटाने की मांग कर रहे हैं। वास्तव में जो लोग आतंकवादियों का मुखौटा बनकर सेना को बदनाम करने तथा उसे कमजोर करने की मुहिम चला रहे हैं, उनके धन के स्रोतों तथा उनके अन्तरराष्ट्रीय संबंधों की जांच कराने की आवश्यकता है। सैन्य बल विशेषाधिकार अधिनियम को हटाना अथवा उसमें संशोधन करना राष्ट्र के लिए घातक होगा और पूर्वोत्तर भारत के लिए तो प्राणघातक ।
राष्ट्र के इन शत्रुओं को पहचान व सत्ता से हटा कर ही राष्ट्र सशक्त व सुरक्षित हो सकता है।
- तिलक संपादक युग दर्पण मिडिया समूह —
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,
आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है!
आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक
समस्या का समाधान वहीँ खोजा जाता है ।
एक मित्र ने कहा,
मैंने पूछा 'इसका तात्पर्य जानते हो', बोला 'नहीं, आप बताइए'।
एक अपनी व्यवस्था की सूचनाओं पर विश्वास करते हैं; दूसरे को विश्वास है कि व्यवस्था ठीक है बिजली जाने का कारण फ्युस है; तीसरे को व्यवस्था पर नहीं पडोसी व समाज पर विश्वास है। समस्या का समाधान वहीँ खोजा जाता है ।
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है।
आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक
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