क्या पूर्वोत्तर भारत का यह सत्य झुठलाया जा सकता है ?
पूर्वोत्तर भारत में अब चर्च के निशाने पर सेना, राज्य व केंद्र सरकारें- राष्ट्र द्रोह की मूक समर्थक व पोषक ।
उल्फा, एन.एस.सी.एन. (आईएम), माओवादी तथा आईएसआई- पूर्वोत्तर भारत में तबाही मचाने की, इन चारों ने समन्वित योजना बना रखी है।
--जगदम्बा मल्ल
1) नागालैण्ड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, असम और अरुणाचल प्रदेश में आतंकवादियों-अलगाववादियों के द्वारा जारी हिंसा के कारण सामान्य जनता का जीना दूभर हो गया है।
2) पूर्वोत्तर भारत में चारों ओर हत्या, जबरन धन वसूली, अपहरण, शराब तथा अन्य मादक पदार्थों सहित हथियारों की तस्करी आदि अपराधों का बोलबाला है। इन सभी कुकृत्यों के पीछे अलगाववादियों-आतंकवादियों, ईसाई मिशनरियों, शत्रु देशों द्वारा प्रायोजित गैरसरकारी संगठनों, कथित मानवाधिकारवादी संगठनों और आई.एस.आई का हाथ है।
3) उल्फा, एनएससीएन (आईएम) तथा अन्य आतंकवादी संगठनों के साथ केन्द्र सरकार का जो संघर्ष विराम समझौता हुआ है, उसमें किए गये प्रावधानॉ के कारण राज्य पुलिस को अपनी सुरक्षा में भी गोली चलाने का अधिकार नहीं है। इन आतंकवादियों को जो लोग अपने घरों में शरण देते हैं, उनको भी सजा देने का कोई नियम-कानून नहीं है।
4) ईसाई मिशनरियों द्वारा अवैध शस्त्र व्यापार, देह व्यापार, लड़के-लड़कियों को नौकरी के नाम पर बेचने की घटनाएं तथा मादक पदार्थों की तस्करी की घटनाएं नागा समाज को उद्वेलित कर रही हैं।
5) गत 9 मार्च को एक बहुचर्चित पादरी ए पुनी को असम रायफल्स के जवानों ने उसके घर से अवैध हथियारों के साथ धर दबोचा। यह पादरी एनएससीएन (आईएम) का एक पदाधिकारी है तथा उसका रेड कार्ड नं 003 है। इसके घर से एके 56 रायफलें तथा अन्य घातक हथियार बरामद हुए हैं।
6) एनएससीएन (आईएम) का प्रमुख मुइवा कथित रूप से नागालैण्ड की आजादी की लड़ाई लड़ रहा है। नागा मिशनरियां शांति प्रचारक बनकर अशांति और घृणा फैला रही हैं। नागालैण्ड की सरकार सरकारी खजाने की लूट में व्यस्त है और केन्द्र सरकार अपने विरोधाभासों में ही उलझी हुई है।
7) दो दशक पूर्व तक अरुणाचल प्रदेश में ईसाइयों का नामोनिशान तक नहीं था। तब वहां चारों तरफ शांति थी। ईसाई मिशनरियों के प्रवेश करते ही अरुणाचल ड्रेगन फोर्स (एडीएफ), नेशनल ड्रेगन फोर्स (एनडीएफ) तथा ताई-सिंग्फो सेक्यूरिटी फोर्स (टीएसएसएफ) नामक आतंकवादी संगठन बन गये। एनएससीएन (आईएम) के हेब्रान स्थित शिविर में उनको प्रशिक्षित किया गया।
8) माओवादी/नक्सलवादी, आईएसआई तथा उल्फा भी यहां सक्रिय हैं और यहां की शांतिप्रिय जनता का खून चूस रहे हैं। धन बसूली, अपहरण, मतान्तरण, हत्या तथा देह-व्यापार के लिए लड़कियों की कालाबाजारी यहां बेरोकटोक चल रही है। ।
9) अरुणाचल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री नाबाम टकी निशी जाति के कट्टर ईसाई हैं, दोनों कैथोलिक बिशपों, नागा आतंकवादियों, नागा ईसाई मिशनरियों तथा विदेश-पोषित गैरसरकारी संगठनों ने सोनिया गांधी की मदद से नाबाम को मुख्यमंत्री पद पर आसीन करने में सफलता पा ली है। इस कारण यहां चर्च को खुला मैदान मिल गया है। अरुणाचल में मतांतरण व आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए देश-विदेश से सैकड़ों करोड़ रुपए आ रहे हैं और चर्च इस काम में लगा हुआ है। जो इनका विरोध करता है उसकी हत्या हो जाती है अथवा उसका कुछ पता ही नहीं चलता।
10) मणिपुर का दर्द- संपूर्ण उत्तर पूर्वांचल में मणिपुर के हालात सबसे अधिक खराब हैं। गुप्तचर एजेंसियों का मानना है कि प्रतिवर्ष 20 से 30 किलो हेरोइन म्यांमार से मणिपुर आती है।
11) चीन में शरण लेने वाले उल्फा, एनएससीएन (आईएम) यूएनएलएफ, पीएलए तथा अन्य आतंकवादी संगठनों के प्रमुख नेता मणिपुर के चूराचांदपुर, चन्देल, उखरूल, सेनापति व तमेंडलांड जिलों में पोस्ता उत्पादन के लिए धन उपलब्ध कर रहे हैं। हेरोइन बनाने वाले कई कारखानों का संचालन कर रहे हैं।
12) यहां एनएससीएन (आईएम), यूएनएलएफ, पीएलए, यूएनसी तथा चर्च का गठबंधन बन गया है। आईएसआई भी इन सबकी सहायता कर रहा है। सभी ग्रामों में चर्च बनाए जा रहे हैं, मदरसों व मस्जिदों का विस्तार होता जा रहा है और माओवादी इकाइयों का गोपनीय गठन होता जा रहा है।
13) यदि केन्द्र सरकार ने 42,000 जवानों को मणिपुर में तैनात नहीं किया होता, तो वहां 28 जनवरी को विधानसभा चुनाव इन आतंकवादियों के उत्पात के कारण नहीं हो पाते। फिर भी वहां सैकड़ों लोग मारे गये। सेना भी उनको बचा नहीं पायी, क्योंकि सेना के हाथ बंधे थे, उन्हें खुली छूट नहीं दी गई थी। मणिपुर की पीड़ित व निर्दोष जनता इन सबके विरुद्ध आवाज उठाना चाहती है, किन्तु हिंसा के डर से उसकी आवाज बन्द है।
14) असम के हालात- असम में उल्फा (परेश गुट) का आतंक जारी है। 7 अप्रैल को नेशनल रिफाइनरी लिमिटेड लि. (गुवाहाटी) में उल्फा ने अपने स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आग लगा दी, करोड़ों की क्षति हुई। उल्फा, एन.एस.सी.एन. (आईएम), माओवादी तथा आईएसआई- इन चारों ने समन्वित योजना बनाकर असम में तबाही मचाने की ठान रखी है। कल्पना करें यदि सेना वहां न होती तो स्थिति कैसी होती ?
15) मेघालय- समय-समय पर मेघालय में भी आतंकवाद सर उठाता रहता है। इस समय गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी (जीएनएलए) तथा आचिक नेशनल वालेंटियर काउंसिल का उत्पात अपनी चरम सीमा पर है। ये दोनों ही चर्च प्रायोजित आतंकवादी संगठन हैं जिनका उल्फा, एनएससीएन (आईएम) तथा माओवादियों से गठबंधन है। धन उगाही के लिए अपहरण की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं।
16) पूर्वोत्तर में अन्तरराष्ट्रीय षड्यंत्र- 30 किमी. चौड़े सिलीगुड़ी गलियारे (चिकन नेक) को काटकर पूरे उत्तर पूर्वांचल को शेष भारत से अलग कर देने की योजना बनाकर अमरीका, ब्रिटेन, कोरिया, चीन, पाकिस्तान व बंगलादेश काम कर रहे हैं।
17) जहां बंगलादेश अपनी मुस्लिम आबादी यहां घुसा रहा है वहीं पाकिस्तान की आईएसआई यहां सक्रिय है। चीन ने सभी आतंकवादी प्रमुखों को निर्देशित किया है कि वे इन्डो-बर्मा रिवाल्यूशनरी फ्रण्ट (आईबीआरएफ) बनाकर संगठित हो जाएं और अपनी मारक क्षमता 30,000 प्रशिक्षित कैडर तक ले जाएं। ऐसा हो जाने पर चीन भारत पर आक्रमण कर देगा।
18) इस क्षेत्र में माओवादी बढ़ते जा रहे हैं। चर्च भी ईसाईयों की संख्या मतान्तरण के माध्यम से बढ़ाता जा रहा है। इसीलिए चीन पूरे उत्तर पूर्वांचल को निगल जाने की तैयारी में लगा हुआ है।
19) भारतीय सेना एक तरफ चीन की सेना से अन्तरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करती है तो दूसरी तरफ इन आतंकवादियों तथा अपराधी तत्वों से समाज की रक्षा करती है। ये आतंकवादी केवल सेना से डरते हैं। सेना ही उनको नियंत्रित कर पाती है। इसलिए सशस्त्र सैन्य बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) के नाम पर सेना को बदनाम करने की मुहिम चल पड़ी है।
उल्फा, एन.एस.सी.एन. (आईएम), माओवादी तथा आईएसआई- पूर्वोत्तर भारत में तबाही मचाने की, इन चारों ने समन्वित योजना बना रखी है।
--जगदम्बा मल्ल
1) नागालैण्ड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, असम और अरुणाचल प्रदेश में आतंकवादियों-अलगाववादियों के द्वारा जारी हिंसा के कारण सामान्य जनता का जीना दूभर हो गया है।
2) पूर्वोत्तर भारत में चारों ओर हत्या, जबरन धन वसूली, अपहरण, शराब तथा अन्य मादक पदार्थों सहित हथियारों की तस्करी आदि अपराधों का बोलबाला है। इन सभी कुकृत्यों के पीछे अलगाववादियों-आतंकवादियों, ईसाई मिशनरियों, शत्रु देशों द्वारा प्रायोजित गैरसरकारी संगठनों, कथित मानवाधिकारवादी संगठनों और आई.एस.आई का हाथ है।
3) उल्फा, एनएससीएन (आईएम) तथा अन्य आतंकवादी संगठनों के साथ केन्द्र सरकार का जो संघर्ष विराम समझौता हुआ है, उसमें किए गये प्रावधानॉ के कारण राज्य पुलिस को अपनी सुरक्षा में भी गोली चलाने का अधिकार नहीं है। इन आतंकवादियों को जो लोग अपने घरों में शरण देते हैं, उनको भी सजा देने का कोई नियम-कानून नहीं है।
4) ईसाई मिशनरियों द्वारा अवैध शस्त्र व्यापार, देह व्यापार, लड़के-लड़कियों को नौकरी के नाम पर बेचने की घटनाएं तथा मादक पदार्थों की तस्करी की घटनाएं नागा समाज को उद्वेलित कर रही हैं।
5) गत 9 मार्च को एक बहुचर्चित पादरी ए पुनी को असम रायफल्स के जवानों ने उसके घर से अवैध हथियारों के साथ धर दबोचा। यह पादरी एनएससीएन (आईएम) का एक पदाधिकारी है तथा उसका रेड कार्ड नं 003 है। इसके घर से एके 56 रायफलें तथा अन्य घातक हथियार बरामद हुए हैं।
6) एनएससीएन (आईएम) का प्रमुख मुइवा कथित रूप से नागालैण्ड की आजादी की लड़ाई लड़ रहा है। नागा मिशनरियां शांति प्रचारक बनकर अशांति और घृणा फैला रही हैं। नागालैण्ड की सरकार सरकारी खजाने की लूट में व्यस्त है और केन्द्र सरकार अपने विरोधाभासों में ही उलझी हुई है।
7) दो दशक पूर्व तक अरुणाचल प्रदेश में ईसाइयों का नामोनिशान तक नहीं था। तब वहां चारों तरफ शांति थी। ईसाई मिशनरियों के प्रवेश करते ही अरुणाचल ड्रेगन फोर्स (एडीएफ), नेशनल ड्रेगन फोर्स (एनडीएफ) तथा ताई-सिंग्फो सेक्यूरिटी फोर्स (टीएसएसएफ) नामक आतंकवादी संगठन बन गये। एनएससीएन (आईएम) के हेब्रान स्थित शिविर में उनको प्रशिक्षित किया गया।
8) माओवादी/नक्सलवादी, आईएसआई तथा उल्फा भी यहां सक्रिय हैं और यहां की शांतिप्रिय जनता का खून चूस रहे हैं। धन बसूली, अपहरण, मतान्तरण, हत्या तथा देह-व्यापार के लिए लड़कियों की कालाबाजारी यहां बेरोकटोक चल रही है। ।
9) अरुणाचल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री नाबाम टकी निशी जाति के कट्टर ईसाई हैं, दोनों कैथोलिक बिशपों, नागा आतंकवादियों, नागा ईसाई मिशनरियों तथा विदेश-पोषित गैरसरकारी संगठनों ने सोनिया गांधी की मदद से नाबाम को मुख्यमंत्री पद पर आसीन करने में सफलता पा ली है। इस कारण यहां चर्च को खुला मैदान मिल गया है। अरुणाचल में मतांतरण व आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए देश-विदेश से सैकड़ों करोड़ रुपए आ रहे हैं और चर्च इस काम में लगा हुआ है। जो इनका विरोध करता है उसकी हत्या हो जाती है अथवा उसका कुछ पता ही नहीं चलता।
10) मणिपुर का दर्द- संपूर्ण उत्तर पूर्वांचल में मणिपुर के हालात सबसे अधिक खराब हैं। गुप्तचर एजेंसियों का मानना है कि प्रतिवर्ष 20 से 30 किलो हेरोइन म्यांमार से मणिपुर आती है।
11) चीन में शरण लेने वाले उल्फा, एनएससीएन (आईएम) यूएनएलएफ, पीएलए तथा अन्य आतंकवादी संगठनों के प्रमुख नेता मणिपुर के चूराचांदपुर, चन्देल, उखरूल, सेनापति व तमेंडलांड जिलों में पोस्ता उत्पादन के लिए धन उपलब्ध कर रहे हैं। हेरोइन बनाने वाले कई कारखानों का संचालन कर रहे हैं।
12) यहां एनएससीएन (आईएम), यूएनएलएफ, पीएलए, यूएनसी तथा चर्च का गठबंधन बन गया है। आईएसआई भी इन सबकी सहायता कर रहा है। सभी ग्रामों में चर्च बनाए जा रहे हैं, मदरसों व मस्जिदों का विस्तार होता जा रहा है और माओवादी इकाइयों का गोपनीय गठन होता जा रहा है।
13) यदि केन्द्र सरकार ने 42,000 जवानों को मणिपुर में तैनात नहीं किया होता, तो वहां 28 जनवरी को विधानसभा चुनाव इन आतंकवादियों के उत्पात के कारण नहीं हो पाते। फिर भी वहां सैकड़ों लोग मारे गये। सेना भी उनको बचा नहीं पायी, क्योंकि सेना के हाथ बंधे थे, उन्हें खुली छूट नहीं दी गई थी। मणिपुर की पीड़ित व निर्दोष जनता इन सबके विरुद्ध आवाज उठाना चाहती है, किन्तु हिंसा के डर से उसकी आवाज बन्द है।
14) असम के हालात- असम में उल्फा (परेश गुट) का आतंक जारी है। 7 अप्रैल को नेशनल रिफाइनरी लिमिटेड लि. (गुवाहाटी) में उल्फा ने अपने स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आग लगा दी, करोड़ों की क्षति हुई। उल्फा, एन.एस.सी.एन. (आईएम), माओवादी तथा आईएसआई- इन चारों ने समन्वित योजना बनाकर असम में तबाही मचाने की ठान रखी है। कल्पना करें यदि सेना वहां न होती तो स्थिति कैसी होती ?
15) मेघालय- समय-समय पर मेघालय में भी आतंकवाद सर उठाता रहता है। इस समय गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी (जीएनएलए) तथा आचिक नेशनल वालेंटियर काउंसिल का उत्पात अपनी चरम सीमा पर है। ये दोनों ही चर्च प्रायोजित आतंकवादी संगठन हैं जिनका उल्फा, एनएससीएन (आईएम) तथा माओवादियों से गठबंधन है। धन उगाही के लिए अपहरण की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं।
16) पूर्वोत्तर में अन्तरराष्ट्रीय षड्यंत्र- 30 किमी. चौड़े सिलीगुड़ी गलियारे (चिकन नेक) को काटकर पूरे उत्तर पूर्वांचल को शेष भारत से अलग कर देने की योजना बनाकर अमरीका, ब्रिटेन, कोरिया, चीन, पाकिस्तान व बंगलादेश काम कर रहे हैं।
17) जहां बंगलादेश अपनी मुस्लिम आबादी यहां घुसा रहा है वहीं पाकिस्तान की आईएसआई यहां सक्रिय है। चीन ने सभी आतंकवादी प्रमुखों को निर्देशित किया है कि वे इन्डो-बर्मा रिवाल्यूशनरी फ्रण्ट (आईबीआरएफ) बनाकर संगठित हो जाएं और अपनी मारक क्षमता 30,000 प्रशिक्षित कैडर तक ले जाएं। ऐसा हो जाने पर चीन भारत पर आक्रमण कर देगा।
18) इस क्षेत्र में माओवादी बढ़ते जा रहे हैं। चर्च भी ईसाईयों की संख्या मतान्तरण के माध्यम से बढ़ाता जा रहा है। इसीलिए चीन पूरे उत्तर पूर्वांचल को निगल जाने की तैयारी में लगा हुआ है।
19) भारतीय सेना एक तरफ चीन की सेना से अन्तरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करती है तो दूसरी तरफ इन आतंकवादियों तथा अपराधी तत्वों से समाज की रक्षा करती है। ये आतंकवादी केवल सेना से डरते हैं। सेना ही उनको नियंत्रित कर पाती है। इसलिए सशस्त्र सैन्य बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) के नाम पर सेना को बदनाम करने की मुहिम चल पड़ी है।
20) सेना की सक्रियता एवं कर्तव्यनिष्ठा के कारण एनएससीएनई (आईएम), उल्फा, यूएनएलएफ तथा पीएलए के सभी शीर्ष नेता या तो जेल की हवा खा रहे हैं या फिर केन्द्र सरकार से शांति वार्ता कर रहे हैं। ऐसा करने के लिए वे बाध्य हैं, वरना या तो पकड़े जाएंगे या फिर मारे जाएंगे। इसलिए चर्च, चर्च-पोषित गैरसरकारी संगठन, विदेश पोषित गैरसरकारी संगठन, छद्म मानवाधिकारवादी संगठन तथा कुछ पत्रकार सशस्त्र सैन्य बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) को हटाने की मांग कर रहे हैं। वास्तव में जो लोग आतंकवादियों का मुखौटा बनकर सेना को बदनाम करने तथा उसे कमजोर करने की मुहिम चला रहे हैं, उनके धन के स्रोतों तथा उनके अन्तरराष्ट्रीय संबंधों की जांच कराने की आवश्यकता है। सैन्य बल विशेषाधिकार अधिनियम को हटाना अथवा उसमें संशोधन करना राष्ट्र के लिए घातक होगा और पूर्वोत्तर भारत के लिए तो प्राणघातक ।
राष्ट्र के इन शत्रुओं को पहचान व सत्ता से हटा कर ही राष्ट्र सशक्त व सुरक्षित हो सकता है।
- तिलक संपादक युग दर्पण मिडिया समूह —
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,
आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है!
आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक
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