राष्ट्र पुनर्जागरण मन्त्र
वन्देमातरम, उत्तिष्ठत जागृत भारत:, सत्य को जाने। आदर्श, नैतिक मूल्य,
जो समाज अपने आदर्श/इतिहास को विस्मृत कर, छद्म मुखौटे स्वीकारने लगे, उसका पतन सुनिश्चित है। धर्मनिरपेक्षता के नाम हुई यही भूल, परिभाषाएं व सोच विकृत कर, हमारी दुर्दशा का प्रमुख कारण बनी। आदिकाल से ही वो अपने जिन उच्च आध्यात्मिक,सामाजिक और नैतिक मूल्यों को लेकर चला, आओ देश की उन जड़ों से जुड़ें, युगदर्पण के संग। आत्म गौरव जगा, भारत पुनः विश्व गुरु की प्रतिष्ठा पाये। तिलक, युगदर्पण मीडिया समूह YDMS 7531949051यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक