Desh Bhakti ke Geet Vedio

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यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है। किन्तु प्रकृति के संसाधनों व उत्कृष्ट मानवीयशक्ति से युक्त इस राष्ट्रको काल का ग्रहण लग चुका है। जिस दिन यह ग्रहणमुक्त हो जायेगा, पुनः विश्वगुरु होगा। राष्ट्रोत्थानका यह मन्त्र पूर्ण हो। आइये, युगकी इस चुनोतीको भारतमाँ की संतान के नाते स्वीकार कर हम सभी इसमें अपना योगदान दें। निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

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DD-Live YDMS दूरदर्पण विविध राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय विषयों पर दो दर्जन प्ले-सूची

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स्वपरिचय: जन्म से ही परिजनों से सीखा 'अथक संघर्ष' तीसरी पीडी भी उसी राह पर!

स्व आंकलन:

: : : सभी कानूनी विवादों के लिये क्षेत्राधिकार Delhi होगा। स्व आंकलन: हमारे पिटारे के अस्त्र -शस्त्र हमारे जो 5 समुदाय हैं, वे अपना परिचय स्वयं हैं (1) शर्मनिरपेक्षता का उपचार (2) देश का चौकीदार कहे- देश भक्तो, जागते रहो-संपादक युगदर्पण, (3) लेखक पत्रकार राष्ट्रीय मंच, (राष्ट्र व्यापी, राष्ट्र समर्पित)- संपादक युगदर्पण, (4) युग दर्पण मित्र मंडल, (5) Muslim Rashtriya Ekatmta Manch (MREM) आप किसी भी विषय पर लिखते, रूचि रखते हों, युग दर्पण का हर विषय पर विशेष ब्लाग है राष्ट्र दर्पण, समाज दर्पण, शिक्षा दर्पण, विश्व दर्पण, अंतरिक्ष दर्पण, युवा दर्पण,... महिला घर परिवार, पर्यावरण, पर्यटन धरोहर, ज्ञान विज्ञानं, धर्म संस्कृति, जीवन शैली, कार्य क्षेत्र, प्रतिभा प्रबंधन, साहित्य, अभिरुचि, स्वस्थ मनोरंजन, समाचार हो या परिचर्चा, समूह में सभी समाविष्ट हैं ! इतना ही नहीं आर्कुट व ट्विटर के अतिरिक्त, हमारे 4 चेनल भी हैं उनमें भी सभी विषय समाविष्ट हैं ! सभी विषयों पर सारगर्भित, सोम्य, सुघड़ व सुस्पष्ट जानकारी सुरुचिपूर्ण ढंगसे सुलभ करते हुए, समाज की चेतना, उर्जा, शक्तिओं व क्षमताओं का विकास करते हुए, राष्ट्र भक्ति व राष्ट्र शक्ति का निर्माण तभी होगा, जब भांड मीडिया का सार्थक विकल्प "युग दर्पण समूह" सशक्त होगा ! उपरोक्त को मानने वाला राष्ट्रभक्त ही इस मंच से जुड़ सकता है.: :

बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

गुरुवार, 8 नवंबर 2012

अँधेरे का साम्राज्य ? भाग-4,

अँधेरे का साम्राज्य ? भाग-4, ...Pl. Like it, join it, share it. Tag 50 frnds.
वन्देमातरम, क्या ये देश आपका नहीं है? अब कलम जगाये, तथा देश जागेगा -
शर्मनिरपेक्षता का उपचार

केजरीवाल ने जो दावे किये उनसे किसका अधिक लाभ हुआ 
न्यूज़ चैनलों का --टी.आर.पी.बढाने के लिए ? 

देश का ---भ्रष्टाचार कम करने के लिए ? 
न्यूज़ चैनलों का --टी.आर.पी.बढाने के लिए ? देश का ---भ्रष्टाचार कम करने के लिए ? 


स्वयं केजरीवाल का ---अपनी ब्रांडिंग करने के लिए ?
या मत और ध्यान बाँटने के लिए ? 


कृपया उत्तर दें 
दि आपके उत्तर देश की जनता के उत्तर से मिल जातें हैं, तो आपका 
दिल एक राहत
 पा सकता है  ...
अन्यथा शर्मनिरपेक्ष मीडिया, सरकार व केजरीवाल का यह चक्रव्यह चलता रहेगा। 
शर्मनिरपेक्ष मीडिया द्वारा हम सब को प्रभावित और गलत नेतृत्व किया जा रहा है ! 
कभी कोई शर्मनिरपेक्षता का रावण, भिन्न भिन्न कानून के रूप में या भिन्न भिन्न न्याय के रूप में हमें छलता है ! जब पाखंडी खुजली, तीस्ता सीतलवाद अब जालसाज दमानिया जैसे मक्कारों के फरेब का साथ देता है ! इन सब को हम भिन्न भिन्न घटनाएँ न माने, मेकाले के 1935 से चले आ रहे, एक घिनोने व्यापक कुचक्र का अभिन्न अंग समझें ! ये सब उसके शर्मनिरपेक्ष पात्र हैं ! जो अपनी लकीर बड़ी करना नहीं, दूसरे की लकीर छोटी दर्शाना जानते हैं, वो इस धारणा को सिद्ध करना चाहते हैं, कि सारे दल भ्रष्ट व सारे नेता चोर हैं ! तभी तो अँधेरे का साम्राज्य बना रहेगा ! पूरे समाज में ही मूल्यों की जो गिरावट हुई है, उसका मूल कारण भी यही शर्मनिरपेक्षता है ! 
इस चक्रव्यह का लक्ष्य सनातन धर्म व परम्परा का साथ देने वाले सभी हैं ! यह चक्रव्यह कांग्रेस और कांग्रेस शासित सत्ता के समर्थन से भाजपा और भाजपा शासित सत्ता के विरूद्ध निरन्तर चल रहा है ! 
यह अंतर जब तक हम समझ नहीं लेते, अँधेरे का साम्राज्य बना रहेगा ! -तिलक 
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | छद्म वेश में फिर आया रावण | 
संस्कृति में ही हमारे प्राण है | भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व || -तिलक
आइये, बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें, पहले सोच, फिर 2014 में सत्ता, फिर व्यवस्था का अमूल चूल परिवर्तन, को अपना लक्ष्य बनायें ! जागते रहो, जगाते रहो ! 
जागोगे नहीं, तो मिट जाओगे, अरे हिन्दोस्तान वालों, तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी, दस्तानों में ! 
जागते रहो- इस देश को लुटने से बचाने तथा बिकाऊ मेकालेवादी, मीडिया का एक मात्र सार्थक, व्यापक, विकल्प -राष्ट्र वादी मीडिया |अँधेरे के साम्राज्य से बाहर का एक मार्ग...remain connected to -
तिलक संपादक, युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 ... yugdarpan.com
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
 योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक

मंगलवार, 6 नवंबर 2012

युगदर्पण के 50 हजारी होने पर

युगदर्पण के 50 हजारी होने पर आप सभी को हार्दिक बधाई व धन्यवाद। युग दर्पण ब्लाग पर बने, हमारे ब्लाग को 49 देशों के 3640, तथा राष्ट्र दर्पण पर 33 देशों के 1693, आप लोगों ने 4 नव.11 प्रथम 1 1/2 वर्षों में 10 हज़ार बार खोला व हमें 10 हजारी बनाया था। अब 4 नव.12 तक केवल एक वर्ष में, 63 देशों के 6360, तथा 51 देशों के 4100+ आप लोगों ने हमें 50 हजारी कर दिया है। आप सभी केवल हार्दिक बधाई व धन्यवाद के पात्र नहीं, हमआपका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 ... yugdarpan.com
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रविवार, 4 नवंबर 2012

भारतीय शिक्षा प्रणाली का विनाश

भारत की वर्तमान दुर्दशा के कारण व निवारण / भा (1)
भारतीय शिक्षा प्रणाली का विनाश 
(विवेकानंद स्टडी सर्कल, आईआईटी मद्रास. के तत्वावधान में जनवरी 1998 में दिए गए एक भाषण से अनुकूलित)  कृ इसे पूरा पढ़ें, समझें व जुड़ें
परिचय भूमिका 
ईस्ट इंडिया कंपनी और ततपश्चात, ब्रिटिश शासन में, लगता है शासकों के मन में दो इरादे काम कर रहे थे इस देश के मूल निवासी के धन लूटना और सभ्यता को डसना हम देखें, इन को प्राप्त करने के लिए, ब्रिटिश ने इतनी चतुराई से चाल चली है, व पूरे राष्ट्र पर सबसे बड़ा एक सम्मोहन बुना, कि आजादी के पचास वर्ष बाद भी हम, अभी भी व्यामोह कीस्थिति से निकलने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं
संभवत: हम में से बहुत से भारतीयों को पता ही नहीं है, कि ब्रिटिश के यहाँ आने तक भारत विश्व का सबसे धनी देश था जबकि पहले विश्व निर्यात के रूप में भारत के 19% अंश के विरूद्ध ब्रिटेन का अंश केवल 9% था, आज हमारा अंश केवल 0.5% है उन्नीसवीं सदी तक कोई यात्री भारत के तट पर आया, उस समय भारत गरीब नहीं पाया गया है, लेकिन विदेशियों में अधिकांश शानदार धन की खोज में भारत आए "मदर इंडिया के बचाव में, एक विदेशी Phillimore का वक्तव्य", "18 वीं सदी के मध्य में, Phillimore ने किताब में लिखा है कि कोई यात्री विदेशी व्यापारियों और साहसी लगभग शानदार धन, चन्दन लकड़ी, जो वे वहाँ प्राप्त कर सकता है, के लिए उसके तट पर आया'मंदिर के पेड़ को हिलाना' एक मुहावरा था, कुछ हद तक हमारे आधुनिक अभिव्यक्ति 'तेल के लिए खोज' के समान हो गया है
भारत के गांव में 35 से 50% भूमि भाग, राजस्व से मुक्त थे और कहा कि राजस्व से स्कूलों, मंदिर त्योहारों का आयोजन, दवाओं के उत्पादन, तीर्थयात्रियों का खिलाना, सिंचाई में सुधार आदि चलता रहा है उन अंग्रेजों के लालच ने राजस्व मुक्त भूमि 5के नीचे किया गया था नीचे करने के कारण जब वहाँ एक विरोध रहता था, तब वे भारतीयों को आश्वासन दिया था कि सिंचाई की देखभाल के लिएसरकार ने सिंचाई विभाग बनाने,  एक शिक्षा बोर्ड को शिक्षा का ख्याल रखना होगा आदि। अत: लोगों की पहल व स्वावलम्बन को नष्ट कर दिया गया था लगता था, शासक उनको तंग करने के लिए मिला है उन्होंने पाया कि हालांकि अंग्रेजों ने इस देश पर विजय प्राप्त की थी, यह समाज अभी भी दृढ़ता से अपनी संस्कृति में निहित था वे जान गए कि जब तक यह समाज सतर्क है और यहां तक ​​कि अपनी परंपराओं का गर्व था, सदा उनके 'सफेद आदमी' बोझ 'के रूप में भारी और बोझिल' बना रहेगा उस समय भारत की शिक्षा प्रणाली एक व्यवस्था से बहुत अच्छी तरह से फैली थी, और अपने उद्देश्यों के लिए अप्रभावी बनाया जाना आवश्यक था अब, हम में से अधिकांश को समझाया/भरमाया गया है कि शिक्षा ब्राह्मणों के हाथों में और संस्कृत माध्यम में है, अत: अन्य जातियों को कोई शिक्षा नहीं देता था लेकिन कैसे ब्रिटिश ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया और एक सबसे साक्षर देश का नाम अनपढ़ देशों आया के बारे में तथ्य यहाँ आगे हैं। :- 
अपने भाषणों में महात्मा गांधी ने 1931 में गोलमेज सम्मेलन में कहा, "शिक्षा के सुंदर पेड़ को आप ब्रिटिश के द्वारा जड़ से काटा गया था और इसलिए भारत आज 100 वर्ष पहले की तुलना में कहीं अधिक अनपढ़ है" इसके तत्काल बाद, फिलिप हार्टोग, जो एक सांसद था, उठ खड़ा हुआ और कहा, "Mr. Gandhi, यह हम है, जो भारत की जनता को शिक्षित किया है। इसलिए आप अपने बयान वापस ले और क्षमा मांगे या यह साबित करें "गांधी जी ने कहा कि वह यह साबित कर सकता हूँ। लेकिन समय की कमी के कारण बहस को जारी नहीं किया गया था। बाद में उनके अनुयायियों में से एक श्री धर्मपाल ने, ब्रिटिश संग्रहालय में जाकर रिपोर्ट और अभिलेखागार की जांच की वह एक पुस्तक प्रकाशित करता है,"द ब्यूटीफुल ट्री" जहां इस मामले में बड़े विस्तार में चर्चा की गई है। ब्रिटिश ने 1820 तक, हमारी शिक्षा प्रणाली के समर्थक वित्तीय संसाधनों को पहले से ही नष्ट कर दिया था एक विनाश कार्य वे लगभग बीस वर्षों से चला रहे थे लेकिन फिर भी भारतीय मांग शिक्षा की अपनी प्रणाली के साथ जारी रखने में बनी रही।  तो, ब्रिटिश सरकार ने इस प्रणाली की जटिलताओं को खोजने का फैसला किया। इसलिए 1822 में एक सर्वेक्षण का आदेश दिया गया था और ब्रिटिश जिला कलेक्टरों द्वारा आयोजित किया गया। सर्वेक्षण में पाया गया कि बंगाल प्रेसीडेंसी के मद्रास में 1 लाख गांव में स्कूल, बंबई में एक स्कूल के बिना एक भी गांव नहीं था, अगर गांव की आबादी 100 के पास रहे तो गांव में एक स्कूल था। इन स्कूलों में छात्रों तथा शिक्षक के रूप में सभी जातियों के थे। किसी भी जिले के शिक्षकों में ब्राह्मणों की संख्या 7% से 48% व शेष अन्य जातियों से थे। इसके अलावा सभी बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त होती थी
स्कूलों से बाहर आते समय तक छात्रों में वह प्रतिस्पर्धी क्षमता प्राप्त कर ली जाती थी और अपनी संस्कृति की उचित जानकारी होना और समझने में सक्षम रहता है। मद्रास में एक ईसाई मिशनरी के एक Mr.Bell, भारतीय शिक्षा प्रणाली वापस इंग्लैंड के लिए ले गए। तब तक, वहाँ केवल रईसों के बच्चों को शिक्षा दिया जाती थी और वहाँ इंग्लैंड में आम जनता के लिए शिक्षा शुरू की। ब्रिटिश प्रशासकों ने भारतीय शिक्षकों की क्षमता और समर्पण की प्रशंसा की हम समझ सकते है कि ब्रिटिश जनता को शिक्षित करने के लिए भारत से जनसामान्य शिक्षा प्रणाली को अपनाया गया वर्तमान प्राथमिक शिक्षा के समकक्ष 4 से 5 वर्ष तक चली हम सभी जानते हैं कि राष्ट्र को आगे ले जाने के लिए सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा ही महत्वपूर्ण है, न कि केवल कुछ को उच्च शिक्षा मिलती रहे। 
शेष है:- गिरावट का कारण: निम्नतर निस्पंदन विधि. तथा हताशा की जनक मैकाले की प्रणाली ।  
-राजीव दीक्षत-  http://www.youtube.com/watch?v=rcUaUfesoRE
देश की श्रेष्ठ प्रतिभा, प्रबंधन पर राजनिति के ग्रहण की परिणति दर्शाने का प्रयास | -तिलक संपादक
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रविवार, 14 अक्तूबर 2012

चाणक्य सूत्र से ठिठोली ?

चाणक्य सूत्र से ठिठोली ?
आपने चाणक्य सूत्र बताया, हमने माना | प्र. मं., सेनापति या गुप्चार विभाग प्रमुख के पद किसी विदेशी अथवा उसकी पत्नी को तो नहीं दिए | किन्तु बड़ी चतुराई से उन सब पर ऐसी कठपुतलियां बैठाई हैं; जिनकी नकेल विदेशी महिला के हाथ में है | सबने देखी, इनकी चतुराई | ये निगोड़े, ये निगोड़े, व इनकी चतुराई ? क्यों किसी की समझ न आई ? - तिलक संपादक युग दर्पण मीडिया समूह, 9911111611,
जीवन ठिठोली नहीं, जीने का नाम है |
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक

शनिवार, 29 सितंबर 2012

अन्ना और रामदेव में अंतर

अन्ना और रामदेव में अंतर
मेरे एक मित्र ने अन्ना और रामदेव के आन्दोलन को एकसा बताते कहा, अन्ना का खेल ख़त्म पहले ही हो चुका था| आज रामदेव का खेल भी ख़त्म हो गया| देश वैसे ही चलता रहेगा, जैसे चलता आ रहा है| हंस दाने चुगते रहेंगे और कौवे मोती खाते रहेंगे| अन्ना कहते थे कि "जब तक प्राण हैं लडूंगा", क्या हुआ? बाबा रामदेव को भी, जब सरकार ने कोई अहमियत नहीं दी तो, उन्होंने ने भी ड्रामा ख़त्म करने में ही अपनी भलाई समझी|


जैसा कि मैं पहले भी कहता रहा हूँ अन्ना और रामदेव में अंतर है| ऐसा भी कह सकते हैं, अंतर है उनके आन्दोलन में| एक किरण बेदी को छोड़, पाखंडियों का गिरोह था| मुद्दा भी लोकपाल बिल का पाखंड तक सीमित था, खंड खंड हो गया| दूसरा रामदेव और मुद्दा ठीक थे| लूट का पैसा देश का है, देश में वापस आना चाहिए| इसीने शासकों के पसीने निकाले, तो रामदेव पर दुधारी चलाई गई| एक सामानांतर अन्ना को उठाया, फिर राम लीला मैदान में रावण लीला रची गई|! आज तक शत्रु सेना भी रात को वार नहीं करती, सोते हुए नृशंसता की सीमा पार की गई| जिस अन्ना को झाड़ पर चडाया था, मिशन रावण लीला के बाद उसे भी झाड़ से गिरा दिया गया| मीडिया ने अन्ना के आन्दोलन को उठाया था, रामदेव के आन्दोलन को दबाने में सरकार को सहयोग किया था ! यह है कथित आज़ादी के आजाद मीडिया का सत्य | तिलक , 
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया !
इंडिया से भारत बनकर ही विश्व गुरु बन सकता है,
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,
आज भी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है!
आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक 9911111611. www.yugdarpan.com

मंगलवार, 18 सितंबर 2012

गणेश चतुर्थी भगवान गणेश:

गणेश चतुर्थी भगवान गणेश: ज्ञान और समृद्धि के दाता, भगवान गणेश के जन्म दिन पर, जो भाद्रपद शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाया जाता है l गणेश चतुर्थी के उत्सव के पाँच, सात या दस दिनों तक होते है l कुछ लोग बीस दिनों तक भी मानते है, किन्तु सबसे लोकप्रिय पर्व दस दिन मनाया जाता है l दाहिने हाथ पथ की परंपरा में पहला दिन सबसे महत्वपूर्ण है l बाएं हाथ पथ परंपरा में अंतिम दिन सबसे महत्वपूर्ण है l 
   गणेश बुद्धि और समृद्धि के देवता है और इस नाते हिंदुओं द्वारा किसी भी शुभ काम का शुभारम्भ श्री गणेश जी की साक्षी में किया है l यह माना जाता है कि आकाँक्षाओं की पूर्ति के लिए उनके आशीर्वाद नितांत आवश्यक है l पौराणिक कथाओं के अनुसार, वह शिव और पार्वती के पुत्र, उनके भाई बहन है, कार्तिकेय - देवताओं के मुखिया, लक्ष्मी धन की देवी और सरस्वती विद्या की देवी l जिसका वाहन मूषक या चूहा और जिसे मोदक (छोटी बूंद के लड्डू) प्रिय है l हिंदू पौराणिक कथाओं में कई कहानियाँ, हाथी की सूंड में इस भगवान के जन्म के साथ जुड़ हैं l
   किंवदंती है कि पार्वती स्नान के लिए जाती, बाहर चंदन की लोई का पुतला बना, उसमे प्राण संचार करा, बैठा देती l एक दिन जब उसके पति, शिवजी लौटे, एक अपरिचित बालक ने उन्हें रोक दिया l शिवजी ने बच्चे का सिर काटा और घर में प्रवेश किया l पार्वती, यह जानकर कि उसका बेटा मर गया, व्याकुल हो गई और शिवजी से उसे पुनर्जीवित करने के लिए कहा l शिवजीने एक हाथी का सिर काटा और यह गणेश के शरीर पर लगा दिया l
   गणपति गणेश की विशेषताएं:- एक और किंवदंती है कि कैसे एक दिन देवताओं ने अपने नेता को चुनने का निर्णय किया और एक दौड़ भाई कार्तिकेय और गणेश के बीच आयोजित की गई l जो कोई भी पृथ्वी के 3 परिक्रमा पहले ले लिया, गणाधिपति या नेता माना जाएगा l कार्तिकेय अपने वाहन के रूप में एक मोर पर बैठा, गणेशजी के पास एक फुदकता चूहा है l गणेश जी को आभास हुआ कि परीक्षण सरल नहीं था, किन्तु वह अपने पिता की अवज्ञा नहीं करे l यह सोच अपने माता पिता के प्रति आदर व श्रद्धा का भाव रखते हुए और उनके चारों ओर 3 बार प्रदक्षिणा लगाई l  इस तरह कार्तिकेय से पहले परीक्षण पूरा हो गया है l उन्होंने कहा, "मेरे माता पिता, पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त है और उनकी प्रदक्षिणा, पृथ्वी की प्रदक्षिणा से अधिक है l" हर किसी को गणेश के तर्क और बुद्धि चातुर्य से सुखद आश्चर्य था और इसलिए उन्हें गणेश, गणाधिपति या नेता, अब गणपति के रूप में जाना जाता है l
गणेश चतुर्थी समारोह
   गणेश चतुर्थी का त्योहार महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश और भारत के कई अन्य भागों में मनाया जाता है l छत्रपति शिवाजी महाराज, महान मराठा शासक, द्वारा संस्कृति और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था l पश्चिमी शासन के विरुद्ध लोगों को प्रेरित करने, राजनीतिक नेता जो भाषण दिया करते थे, ब्रिटिश ने सार्वजनिक सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था l इस की पृष्ठभूमि में लोकमान्य तिलक (स्वतंत्रता सेनानी) ने स्वतंत्रता संग्राम के संदेश का प्रसार के लिए, त्योहार को एक सार्वजानिक रूप देकर, भारतीय एकता का अनुभव कर दिया और उनकी देशभक्ति की भावना और विश्वास को पुनर्जीवित किया l यह सार्वजनिक त्योहार इतना लोकप्रिय है कि तैयारी महीनों पहले शुरू हो जाती हैं l
   घरों और सड़क के किनारों में, और गणेश प्रतिमा स्थापित में, व्यापक प्रकाश व्यवस्था, सजावट, दर्पण और फूलों की व्यवस्था कर रहे हैं l पूजा, प्रार्थना (सेवाएं) दैनिक प्रदर्शन कर रहे हैं l कलाकारों जो गणेश की मूर्तियां और अधिक भव्य 10 मीटर से 30 मीटर की ऊंचाई में कर और सुरुचिपूर्ण मूर्तियों बनाने में, एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं l इन मूर्तियों को फिर से सजाया तथा एक, तीन, पांच, सात और दस दिनों के बाद हजारों लोगों के जुलूस द्वारा नगाड़े की थाप, भक्ति गीत और नृत्य के साथ पवित्र मूर्तियों को समुद्र में विसर्जित किया जाता है l समुद्र तट पर एकाग्र करने के लिए समुद्र में विसर्जित कर देते हैं l समारोह, गणेश महाराज की जय! " (गणेश भगवान की जय). "गणपति बप्पा मोर्य, पुडचा वर्षी लॉकर फिर" (भगवान की जय हो गणेश, जल्द ही फिर से, अगले साल वापसी के मंत्र के साथ, अगले साल वापसी की प्रार्थना के साथ, समाप्त होता है l युग दर्पण मिडिया समूह 
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है! आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक

मंगलवार, 4 सितंबर 2012

"मेरा देश इंडिया"....

"मेरा देश इंडिया"....- तिलक
कई दिन से सोचता था भारत का अमन चैन जाने कहाँ खो गया है!
वसुधैव कुतुम्कम का प्रणेता भाईचारा था इसे कौन खा गया है!
बटोर ज्ञान, लगाया ध्यान, तब जाना जब कर डाले सब अनुसन्धान!
जब से कथित आज़ादी के साथ भारत देश का बंटवारा हो गया है!
भारत को मिटा कर बना डाले एक हिंदुस्तान व दूजा पाकिस्तान!
पहले भारत नहीं रहने दिया अब न रहा हिंदुस्तान या पाकिस्तान!
पाकिस्तान को वहां की सरकार ने नापाक कर डाला!
यहाँ की सरकार भी कम न थी हिन्दुओं को मिटा डाला!
उनका वो देश अतंकिया है तो मेरा ये देश भी इंडिया है!
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,
आजभी इसमें वह गुण,योग्यता
 व क्षमता विद्यमान है!
आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक