अलगाव का कारण धारा 370
Friday, June 6, 2014
विगत 67 वर्षों से विभिन्नता या अनेकता में एकता के प्रपंचीय नारे पढाये जा रहे हैं, किन्तु एक देश में 2 संविधान 2 निशान (झंडे) 2 विधान चलाये जा रहे हैं। अलगाव का कारण, प्रतीक और संरक्षक धारा 370, को ढोने को बाध्यता बनाया जाता रहा है। अब इस अनावश्यक बोझ से मुक्ति का समय आ गया है।
धारा 370 के कारण ही पाकिस्तानियो को भी भारतीय नागरीकता मिल जाती है।
अतिमहत्वपूर्ण: संविधान के मूल ढाँचे से धारा 370 का कोई लेना देना नहीं है, संविधान संशोधन निर्धारित किया जा सकता है, अथवा राज्य की परिषद को पुनर्गठित करके। वर्त्तमान मोदी सरकार सक्षम है इसे हटाने में, किन्तु उससे पूर्व चर्चा करके कश्मीरियों को यह बताना/पूछना आवश्यक है है कि इस धारा से उन्हें कितना लाभ हुआ और कितना हानी। बताइये इस आग्रह को स्वीकार करने से हिचकने वालो को क्या कहेंगे ?
जम्मू के राजाओं की सूचि से स्पष्ट है कि अब्दुल्ला परिवार का स्वामित्व नहीं है, चुना प्रतिनिधि स्वामी नहीं, मात्र अभिरक्षक होता है। उसे ऐसा कोई अधिकार नहीं होता कि चाहे किसी को राज्य सौंप सके। अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर इस प्रकार की निर्थक बकवास का कोई महत्त्व नहीं होता।
जम्मू के राजाओं की सूचि से स्पष्ट है कि अब्दुल्ला परिवार का स्वामित्व नहीं है, चुना प्रतिनिधि स्वामी नहीं, मात्र अभिरक्षक होता है। उसे ऐसा कोई अधिकार नहीं होता कि चाहे किसी को राज्य सौंप सके। अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर इस प्रकार की निर्थक बकवास का कोई महत्त्व नहीं होता।
कश्मीर अब्दुल्ला परिवार के बाप की जागीर नहीं, इस पर निर्णय का कोई उनको अधिकार नहीं।
धारा 370 हटायें, 125 करोड़ के दिलों को मिलाएं, अब्दुल्ला परिवार जहाँ जाना चाहें जाएँ। भारत को विश्व गुरु बनायें।
उमर अब्दुल्ला के धारा 370 पर किए ट्विट पर संघ के अखिल भारतीय सह सम्पर्क प्रमुख राम माधव जी ने कहा कि उमर जम्मू कश्मीर को अपनी पैतृक सम्पत्ति न समझे ! कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
चाहे धारा 370 रहे या न रहे ?
क्या है? धारा 370: (ये चित्र फेस बुक मित्रों से प्राप्त। )
1. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है।
2. जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है।
3. जम्मू - कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है, जबकी भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
4. जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है।
5. भारत के उच्चतम न्यायलय के आदेश जम्मू - कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं।
6. भारत की संसद को जम्मू - कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यंत सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।
7. जम्मू कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले, तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी । इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले, तो उसे भी जम्मू - कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी।
8. धारा 370 के कारण कश्मीर में सूचना का अधिकार RTI लागू नहीं है, नियंत्रक महालेखाकार CAG लागू नहीं होता । ...। भारत का कोई भी कानून लागू नहीं होता ।
9. कश्मीर में महिलावो पर शरियत कानून लागू है।
10. कश्मीर में पंचायत के अधिकार नहीं ।
1. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है।
2. जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है।
3. जम्मू - कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है, जबकी भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
4. जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है।
5. भारत के उच्चतम न्यायलय के आदेश जम्मू - कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं।
6. भारत की संसद को जम्मू - कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यंत सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।
7. जम्मू कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले, तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी । इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले, तो उसे भी जम्मू - कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी।
8. धारा 370 के कारण कश्मीर में सूचना का अधिकार RTI लागू नहीं है, नियंत्रक महालेखाकार CAG लागू नहीं होता । ...। भारत का कोई भी कानून लागू नहीं होता ।
9. कश्मीर में महिलावो पर शरियत कानून लागू है।
10. कश्मीर में पंचायत के अधिकार नहीं ।
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
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