लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन
प्रधानमंत्री ने श्रीमती सुमित्रा महाजन के सर्वसम्मिति से लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने का स्वागत किया
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सदन की उच्च परंपरा के अनुसार सर्वसम्मिति से श्रीमती सुमित्रा महाजन के 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष चुने जाने का स्वागत किया है। उन्हें बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने एक महिला द्वारा विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में इस उच्च स्थान पाने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इंदौर नगर निगम की सदस्य से लेकर आठ बार संसद सदस्य के रूप में सार्वजनिक जीवन के लम्बे अनुभव से युक्त श्रीमती सुमित्रा महाजन के मार्ग-दर्शन से देश के लोगों की सेवा करने में सदन को लाभ मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 16वीं लोकसभा में प्राय: 315, पहली बार सांसद चुनकर आए हैं, जो पहली लोकसभा के समान है । उन्होंने कहा कि सदन के पास कई पुरानी परंपराओं को छोड़कर नई परंपराएं अपनाने का अवसर है। उन्होंने कहा कि भारतीय संसद प्रजातंत्र का एक मंदिर है और इसके माध्यम नई ऊर्जा के साथ भारत को विश्व में एक शक्तिशाली प्रजातंत्र के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अध्यक्ष का नाम ही सभी को उनका मित्र होने का आभास कराता है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी कहा गया है कि ‘’महाजनिये येन गत: पंथया’’ जिसका अर्थ है कि जिस पथ पर महाजन चलते हैं, उस पर चलना लाभकारी होता है।
उन्होंने सदन की ओर से अध्यक्ष को आश्वासन दिया कि सदन की कार्रवाईयों को सफलता पूर्वक चलाने में श्रीमती महाजन को सभी सदस्यों से पूरा समर्थन मिलेगा।
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प। मीडिया विकल्प बने; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,
आज भी इसमें वह गुण,प्रधानमंत्री ने कहा कि 16वीं लोकसभा में प्राय: 315, पहली बार सांसद चुनकर आए हैं, जो पहली लोकसभा के समान है । उन्होंने कहा कि सदन के पास कई पुरानी परंपराओं को छोड़कर नई परंपराएं अपनाने का अवसर है। उन्होंने कहा कि भारतीय संसद प्रजातंत्र का एक मंदिर है और इसके माध्यम नई ऊर्जा के साथ भारत को विश्व में एक शक्तिशाली प्रजातंत्र के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अध्यक्ष का नाम ही सभी को उनका मित्र होने का आभास कराता है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी कहा गया है कि ‘’महाजनिये येन गत: पंथया’’ जिसका अर्थ है कि जिस पथ पर महाजन चलते हैं, उस पर चलना लाभकारी होता है।
उन्होंने सदन की ओर से अध्यक्ष को आश्वासन दिया कि सदन की कार्रवाईयों को सफलता पूर्वक चलाने में श्रीमती महाजन को सभी सदस्यों से पूरा समर्थन मिलेगा।
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