सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम कानून /प्रोत्साहन कानून
वन्देमातरम, सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम कानून पर हमारा मत क्या हो, इससे पूर्व यह समझना आवश्यक है, कि इसमे है क्या ? किन्तु एक प्रश्न सबसे अधिक सता रहा था।
भारत के विरुद्ध चल रहे इतने बड़े षड्यंत्र के बारे में इस समाज को कैसे बताया और समझाया जाए। देश का मीडिया इस कानून के सांप्रदायिक पक्ष को नही दिखा रहा है, केवल राजनीतिक प्रतिक्रिया दिखा रहा है।क्योंकि सांप्रदायिक मुद्दे पर सत्य कथन को सांप्रदायिक मान मीडिया बच रहा है।
किन्तु, यह बिल विश्वगुरू भारत के अस्तित्व को ही मिटाने का कुत्सित कुचक्र है, पास हुआ तो प्रलय सुनिश्चित है। अस्तित्व रक्षा का नियम है, अंतिम क्षण में सारी ताकत लगानी चाहिए। किन्तु, हम सब पहले यह तो समझे, कि ये बिल देश के लिए अंतिम सर्वनाश का बिल है। यह बिल आने का अर्थ प्रलय है। देश की जनता को बस इतना ही समझाया जा रहा है, कि एक ऐसा बिल आ रहा है, जिसमे सत्ता और विपक्ष में सहमति नही, कुछ असहमती हैं।
किन्तु बात केवल इतनी नही है, बात सहमति की असहमती नही, अस्तित्व की है। ऐसे धर्म व संस्कृति की जिसने विश्व के कोने कोने में अत्याचारों से पीड़ितों को आश्रय दिया। आज के मुस्लिम अल्पसंख्यंक वही हैं, जिन्हे पाकिस्तान की माँग पूरी होने पर, पाकिस्तान के नर्क में जाने से नकारने को, बहुसंख्यंक हिन्दुओ ने विरोध नहीं किया।
सत्ता के वोट बैंक हेतु लम्बे समय से चल रहे, उन हिन्दुओं को साम्प्रदायिक ठहराए जाने के कुचक्र जानकर, तो इसे गहराई से समझना और भी आवश्यक हो जाता है। काले अंग्रेजों के इस साइमन कमीशन पर जब देश का नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, तब पायें -
नकारात्मक बिकाऊ मीडिया का सकारात्मक राष्ट्रवादी विकल्प युगदर्पण मीडिया समूह YDMS.
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2001 से युगदर्पण समचारपत्र द्वारा सार्थक पत्रकारिता और 2010 से हिंदी ब्लॉग जगत में विविध विषयों के 28 ब्लॉग के माध्यम व्यापक अभियान चला कर 3 वर्ष में 60 देशों में पहचान बनाई है। तथा काव्य और लेखन से पत्रकारिता में अपने सशक्त लेखन का विशेष स्थान बनाने वाले तिलक राज के 10 हजार पाठकों में लगभग 2000 अकेले अमरीका में हैं। -तिलक, संपादक युगदर्पण मीडिया समूह 09911111611, 07531949051
जो शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से- देश धर्म संस्कृति के शत्रु;
राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते। उनसे ये देश बचाना होगा। तिलक
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,
आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है |
आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक