भारत में साम्प्रदायिक समन्वय और शान्ति का महामन्त्र -
शहीद अशफाक उल्लाह खान, शहीद कै अब्दुल हमीद अथवा पू राष्ट्रपति डा अब्दुल कलाम!
शहीद अशफाक उल्लाह खान (देश हित बलिदान हुए एक क्रन्तिकारी) जी के अंतिम शब्द "जाऊँगा खाली हाथ मगर ये दर्द साथ ही जायेगा, जाने किस दिन हिन्दोस्तान आज़ाद वतन कहलायेगा? बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं "फिर आऊँगा, फिर आऊँगा, फिर आकर के ऐ भारत माँ तुझको आज़ाद कराऊँगा". जी करता है मैं भी कह दूँ पर मजहब से बंध जाता हूँ, मैं मुसलमान हूँ पुनर्जन्म की बात नहीं कर पाता हूँ; हाँ खुदा अगर मिल गया कहीं अपनी झोली फैला दूँगा, और जन्नत के बदले उससे एक पुनर्जन्म ही माँगूंगा."
शहीद कै अब्दुल हमीद (जुलाई 9, 1933 - सितम्बर 10, 1965) खेमकरण सेक्टर में पाकिस्तान के अभेद्य पैटन टैंकों को ध्वस्त कर विजय पताका फहराने वाले अदम्य साहसी देशभक्त ने लड़ते हुए 32 वर्ष की आयु में ही अपने प्राणों को देश पर न्यौछावर कर दिए। 1954 में सैनिक भर्ती होकर घुसपैठियों को मजा चखाते, जब आतंकवादी डाकू इनायत अली को पकड़वाया तो प्रोन्नति में लांसनायक बने। मरणोपरांत परमवीरचक्र व कैप्टन प्रोन्नति दी गई। पू राष्ट्रपति डा अब्दुल कलाम! जो वर्त्तमान पीढ़ी के आदर्श व महानायक हैं। सभी सुपरिचित हैं।
बिकाऊ नकारात्मक मीडिया का राष्ट्रवादी सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प - तिलक सम्पादक -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS.
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यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,
आज भी इसमें वह गुण,http://samaajdarpan.blogspot.in/2013/12/blog-post_22.html
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
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