संसद पर आतंकी हमले की बरसी पर शहीदों को श्रद्धांजलि
तिलक
11 दिसं 2015 न दि
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
तिलक
11 दिसं 2015 न दि
संसद पर 13 दिसंबर 2001 को हुए वीभत्स आतंकी हमले के समय लोकतांत्रिक राजव्यवस्था के गौरव की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सुरक्षाकर्मियों को दोनों सदनों ने आज श्रद्धांजलि अर्पित की। लोकसभा की कार्यवाही आरम्भ होने पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि अत्यंत वेदना से हम 13 दिसं 2001 की उस घटना को याद करते हैं, जिस दिन हमारी लोकतांत्रिक राज्यव्यवस्था के गौरव ‘भारत की संसद’ को एक कायरतापूर्ण आतंकी हमले का निशाना बनाया गया था।
उच्च सदन में सभापति हामिद अंसारी ने संसद पर हुए आतंकवादी हमले की 14वीं बरसी पर कहा कि हम अपने सुरक्षाकर्मियों के सर्वोच्च बलिदान को स्मरण करते हैं, जिन्होंने संसद भवन परिसर में आतंकवादियों को घुसने से रोकते हुए, अपने प्राण न्योछावर कर दिए और हमले को विफल कर दिया। इस अवसर पर दोनों सदनों ने आतंकवाद के इस वीभत्स कुचक्र से निपटने के लिए, नये सिरे से अपने संकल्प को दोहराया और मातृभूमि की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता की रक्षा करने के लिए, अपनी बचनबद्धता को दृढ़ता से व्यक्त किया।
दिल्ली पुलिस के पांच सुरक्षाकर्मी नानक चंद, रामपाल, ओमप्रकाश, बिजेन्द्र सिंह और घनश्याम तथा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला सिपाही कमलेश कुमारी और संसद सुरक्षा के दो सुरक्षा सहायक जगदीश प्रसाद यादव और मातबर सिंह नेगी, इस हमले का साहस से सामना करते हुए शहीद हो गए थे। इस हमले में एक कर्मचारी देशराज भी शहीद हुए थे। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि यह सभा उन सभी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करती है, जिन्होंने संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी, साथ ही इनके परिवारों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करती है।
राज्यसभा के सभापति ने इस घटना की निंदा की और कहा कि हम आतंकवाद से सामना करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताते हैं और देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए स्वयं को फिर से प्रतिबद्ध करते हैं। सदस्यों ने आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के सम्मान में कुछ क्षणों का मौन रखा।
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,
आज भी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें