Desh Bhakti ke Geet Vedio

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यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है। किन्तु प्रकृति के संसाधनों व उत्कृष्ट मानवीयशक्ति से युक्त इस राष्ट्रको काल का ग्रहण लग चुका है। जिस दिन यह ग्रहणमुक्त हो जायेगा, पुनः विश्वगुरु होगा। राष्ट्रोत्थानका यह मन्त्र पूर्ण हो। आइये, युगकी इस चुनोतीको भारतमाँ की संतान के नाते स्वीकार कर हम सभी इसमें अपना योगदान दें। निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

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स्वपरिचय: जन्म से ही परिजनों से सीखा 'अथक संघर्ष' तीसरी पीडी भी उसी राह पर!

स्व आंकलन:

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रविवार, 18 जनवरी 2015

प्राथमिकता - कश्मीरी पंडित पुनर्वास

अब प्राथमिकता हो कश्मीरी पंडित पुनर्वास

फाइल फोटो---दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान कश्मीरी पंडितयुगदर्पण प्रस्तुति (साभार प्रवीण गुगनानी स्तंभकार विसके)  
कश्मीर में 19 जनवरी 1990 को बर्बर जनसंहार के बाद 25 वर्षों का लम्बा अंतराल बीत गया है। जिसमें कश्मीरी पंडितों को कुछ मिला है तो मात्र दिल्ली और श्रीनगर की असंवेदनशीलता। कश्मीर के सर्वाधिक नए जन सांख्यिकीय आंकड़ों पर दृष्टी डालें तो स्वतंत्रता के समय घाटी में 15% कश्मीरी पंडितों की जनसँख्या थी, जो आज 1 % से नीचे होकर 0 % की ओर बढ़ रही है, क्यों ? कहाँ गए वो 14 % पंडित ? मानवता का डैम भरने वाले कथित मानवता वादियों के पास इसका कोई उत्तर है ? 
वर्तमान के इतिहास में कश्मीर के ज.स. आंकड़ों में यदि परिवर्तन का सबसे बड़ा कारक खोजें, तो वह एक दिन अर्थात 19 जनवरी 1990 के नाम से जाना जाता है। कश्मीरी पंडितों को उनकी मातृभूमि से खदेड़ देने की इस घटना की यह भीषण और वीभत्स कथा 1989 में आकार लेने लगी थी। पाकिस्तान प्रेरित और प्रायोजित आतंकवादी और अलगाववादी यहाँ अपनी जड़ें जमा चुके थे। भारत सरकार आतंकवाद की कथित समाप्ति में लगी हुई थी, उस काल में वहां रह रहे ये। कश्मीरी पंडित भारत सरकार के मित्र और इन आतंकियों-अलगाववादियों के शत्रु और खबरी सिद्ध हो रहे थे। इस काल में कश्मीर में अलगाववादी समाज और आतंकवादियों ने शांतिप्रिय हिन्दू पंडित समाज के विरुद्ध चल रहे, अपने धीमें और छदम संघर्ष को घोषित संघर्ष में बदल दिया। इस भयानक नरसंहार पर फारुक अब्दुल्ला की रहस्यमयी चुप्पी और कश्मीरी पंडित विरोधी मानसिकता केवल इस घटना के समय ही सामने नहीं आई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला अपने पिता शेख अब्दुल्ला के कदमों पर चलते हुये अपना कश्मीरी पंडित विरोधी आचरण कई बार सार्वजनिक कर चुके थे। 
19 जनवरी 1990 के मध्ययुगीन, भीषण और पाशविक दिन के पूर्व जमात-ऐ-इस्लामी द्वारा कश्मीर में अलगाववाद को समर्थन करने और कश्मीर को हिन्दू विहीन करने के उद्देश्य से हिज्बुल मुजाहिदीन की स्थापना हो गई थी। इस हिजबुल मुजाहिदीन ने 4 जनवरी 1990 को कश्मीर के स्थानीय समाचार पत्र में एक विज्ञप्ति प्रकाशित करवाई, जिसमें स्पष्टतः सभी कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़ने की धमकी दी गई थी। इसी क्रम में दूसरी ओर पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री बेनजीर ने भी टीवी पर कश्मीरियों को भारत से मुक्ति पाने को लेकर एक भड़काऊ भाषण दे दिया। घाटी में निर्बाध भारत विरोधी नारे लगने लगे। घाटी की मस्जिदों में अजान के स्थान पर हिन्दुओं के लिये धमकियां और हिन्दुओं को खदेड़ने या मार-काट देने के विषाक्त आह्वान बजने लगे। एक अन्य स्थानीय समाचार पत्र अल-सफा ने भी इस विज्ञप्ति का प्रकाशन किया था। इस भड़काऊ, घृणाक्त, धमकी, हिंसा और भय से भरे शब्दों और आशय वाली विज्ञप्ति के प्रकाशन के बाद कश्मीरी पंडितों में गहरे तक भय, डर घबराहट का संचार हो गया। यह स्वाभाविक भी था क्योंकि तब तक कश्मीरी पंडितों के विरोध में कई छोटी बड़ी घटनाएं सतत घट ही रही थी और कश्मीरी प्रशासन और भारत सरकार दोनों ही उन पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे थे। 
19 जनवरी 1990 की भीषणता को कश्मीर और भारत सरकार की विफलता के साथ ही इससे समझा जा सकता है, कि पूरी घाटी में कश्मीरी पंडितों के घर और दुकानों पर नोटिस चिपका दिये गये थे, कि 24 घंटो के भीतर वे घाटी छोड़ कर चले जायें या इस्लाम ग्रहण कर कड़ाई से इस्लाम के नियमों का पालन करें। घरों पर धमकी भरे पोस्टर चिपकाने की काली घटना से भी भारत और कश्मीरी सरकारें चेती नहीं और परिणाम स्वरुप पूरी घाटी में कश्मीरी पंडितों के घर धूं-धूं जल उठे। तत्कालीन मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला इन घटनाओं पर रहस्यमयी आचरण अपनाए रहे, वे कुछ करने का अभिनय करते रहे और कश्मीरी पंडित अपनी ही भूमि पर ताजा इतिहास की सर्वाधिक पाशविक-बर्बर-क्रूरतम गतिविधियों का निर्बाध शिकार होते रहे। कश्मीरी पंडितों के सिर काटे गये, कटे सर वाले शवों को चौक-चौराहों पर लटकाया गया। बलात्कार हुये, कश्मीरी पंडितों की स्त्रियों के साथ पाशविक-बर्बर अत्याचार हुये। गर्म सलाखें शरीर में दागी गई और मन सम्मान के भय से सैकड़ों कश्मीरी पंडित स्त्रियों ने आत्महत्या करने में ही भलाई समझी। बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों के शवों का समुचित अंतिम संस्कार भी नहीं होने दिया गया था, कश्यप ऋषि के संस्कारवान कश्मीर में संवेदनाएं समाप्त हो गई और पाशविकता-बर्बरता का वीभत्स नंगा नाच दिखा था। ये कोई मुग़ल कालीन ही इतिहास नहीं, मात्र 25 वर्ष के शर्मनिरपेक्ष यथार्थ की गाथा है। 
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट और हिजबुल मुजाहिदीन ने प्रत्यक्ष और सार्वजनिक रूप से इस हत्याकांड का नेतृत्व किया था। ये सब एकाएक नहीं हुआ था, हिजबुल और अलगाववादियों का अप्रत्यक्ष समर्थन कर रहे फारुख अब्दुल्ला तब भी चुप रहे थे या कार्यवाही करने का अभिनय मात्र कर रहे थे, जब भाजपाई और कश्मीरी पंडितों के नेता टीकालाल टपलू की 14 सितंबर 1989 को दिनदहाड़े ह्त्या कर दी गई थी। अलगाववादियों को कश्मीर प्रशासन का ऐसा वरद हस्त प्राप्त रहा कि बाद में उन्होंने कश्मीरी पंडित और श्रीनगर के न्यायाधीश एन. गंजू की भी ह्त्या की और प्रतिक्रया होने पर 320 कश्मीरी स्त्रियों, बच्चों और पुरुषों की ह्त्या कर दी थी। ऐसी कितनी ही ह्रदय विदारक, अत्याचारी और बर्बर घटनाएं कश्मीरी पंडितों के साथ घटती चली गई और दिल्ली सरकार लाचार देखती भर रही और उधर श्रीनगर की सरकार तो जैसे खुलकर इन आतताइयों के पक्ष में आ गई थी। अन्ततोगत्वा वही हुआ, जो वहां के अलगाववादी, आतंकवादी हिजबुल और जेकेएलऍफ़ चाहते थे। कश्मीरी पंडित पूर्व की घटनाओं, घरों पर नोटिस चिपकाए जाने और व्यापक जनसंहार से घबराकर 19 जनवरी 1990 को साहस खो चुके तो फारुख अब्दुल्ला के कुशासन में आतंकवाद और अलगाववाद चरम पर आकर विजयी हुआ और इस दिन साढ़े तीन लाख कश्मीरी पंडित अपने घरों, दुकानों, खेतों, बाग और संपत्तियों को छोड़कर विस्थापित होकर दर-दर की ठोकरें खानें को बाध्य हो गये। कई कश्मीरी पंडित अपनों को खोकर गये, अनेकों अपनों का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाये, और हजारों तो यहाँ से निकल ही नहीं पाये और मार-काट डाले गये। विस्थापन के बाद का जो समय आया वह भी किसी प्रकार से आतताइयों द्वारा दिये गये कष्टों से कम नहीं रहा। सरकारी शिविरों में नारकीय जीवन जीने को बाध्य हुये. हजारों कश्मीरी पंडित दिल्ली, मेरठ, लखनऊ जैसे नगरों में लू से इसलिये मृत्यु को प्राप्त हो गए, क्योंकि उन्हें गर्म मौसम में रहने का अभ्यास नहीं था। 

25 वर्ष पूर्ण हुये, किन्तु कश्मीरी पंडितों के घरों पर हिजबुल द्वारा नोटिस चिपकाये जाने से लेकर विस्थापन तक और विस्थापन से लेकर आज तक के समय में मानवाधिकार, मीडिया, सम्मलेन , तथाकथित बुद्धिजीवी, मोमबत्ती बाज और संयुक्त राष्ट्र संघ; सभी इस विषय में न्यूनाधिक बोले या नहीं, यह तो नहीं दिखा सुना, किन्तु इन कश्मीरी पंडितों की समस्या का कोई ठोस हल अब तक नहीं निकला, यह पूरे विश्व को पता है। ये सच से मुंह मोड़ने और शतुरमुर्ग होने का ही परिणाम है, कि कश्मीरियों के साथ हुई घटना को शर्मनाक ढंग से स्वेच्छा से पलायन बताया गया! इस घटना को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सामूहिक नर संहार मानने से भी नकार दिया, ये घोर अन्याय और तथ्यों की असंवेदी अनदेखी है!! नरेन्द्र मोदी सरकार कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास हेतु प्रतिबद्ध है और वह इस प्रतिबद्धता को दोहराती रही है। दुर्योग है कि नमो को प्रधानमन्त्री बनने के बाद अवसर नहीं मिला। पहले कश्मीर में बाढ़ आ गई और फिर चुनाव आ गये। जिससे कश्मीरी पंडितों का उनका संकल्प परवान नहीं चढ़ पाया, किन्तु अब समय आ गया है। पच्चीस वर्षों के इस दयनीय, नारकीय और अपमानजनक अध्याय का अंत होना चाहिये। अब कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास हो, पुनर्प्रतिष्ठा हो, कश्मीरियत का पुनर्जागरण हो, यह आशा और विश्वास है। 
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शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

असफल आतंकी प्रयास

तटरक्षक बल ने विस्फोटकों से भरी पाक नौका रोकी 
भारतीय तटरक्षक ने अरब सागर में भारत–पाकिस्तान सीमा के पास विस्फोटकों से भरी एक नौका रोकी, किन्तु उस पर सवार लोगों ने उसमें आग लगा दी, जिसके बाद वह डूब गई। यह घटना मुम्बई आतंकवादी हमले की छठी बरसी के एक माह बाद हुई है। एक गुप्तचर सूचना के आधार पर गत 31 दिसम्बर की आधी रात को, तटरक्षक जहाज और विमान द्वारा मछली पकड़ने वाली एक संदिग्ध नौका को रोकने का प्रयास किया गया। 
रक्षा मंत्रालय की ओर से आज जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि 31 दिसम्बर को प्राप्त गुप्तचर सूचना के अनुसार कराची के केटी बंदरगाह से मछली पकड़ने वाली एक नौका अरब सागर में कुछ नियम विरूद्ध कार्य की योजना बना रही थी। सूचना के अनुसार भारतीय तटरक्षक बल के एक डोर्नियर विमान ने समुद्र–हवाई समन्वित खोजी अभियान शुरू किया और मछली पकड़े जाने वाली नौका का पता लगा लिया।
इसके बाद क्षेत्र में गश्त कर रहे तटरक्षक जहाज को उस ओर भेजा गया, जिसने नौका को 31 दिसम्बर की आधी रात को पोरबंदर से 365 किलोमीटर पश्चिम––दक्षिण पश्चिम दिशा में रोकने का प्रयास किया गया। तटरक्षक बल के जहाज ने मछली पकड़ने वाली नौका को, चालक दल एवं कार्गो की जांच के लिए रूकने की चेतावनी दी। यद्यपि नौका ने अपनी गति बढ़ा दी और भारत की समुद्री सीमा से दूर भागने का प्रयास किया।
नौका का पीछा करने का क्रम प्राय: एक घंटे तक चला और तटरक्षक दल चेतावनी देने के लिए गोलियां चलाकर नौका को रोकने में सफल रहा। वक्तव्य में कहा गया है कि नौका पर चार व्यक्तियों को देखा गया जिन्होंने तटरक्षक की रूकने और जांच में सहयोग करने की सभी चेतावनियों को अनदेखा किया। 
नीतीश कुमार ने आज कहा कि भाजपा का विजय रथ इस वर्ष बिहार में रूक जाएगा, क्योंकि पार्टी चुनावी वादे निभाने में अपनी असफलता को छिपाने के लिए विभाजनकारी रणनीति अपना रही है। 
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बुधवार, 31 दिसंबर 2014

"अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं;

"अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं; 
নববর্ষ, નવા વર્ષની, New Year, ಹೊಸ ವರ್ಷದ, പുതുവർഷം, नवीन वर्ष, 
புத்தாண்டு, న్యూ ఇయర్, ਨਵਾਂ ਸਾਲ, نئے سال
(गुलामी के संकेत/हस्ताक्षर, जो मनाना चाहें)
उमंग उत्साह, चाहे जितना दिखाएँ; 
चैत्र के नव रात्रे, जब जब भी आयें
घर घर सजाएँ, उमंग के दीपक जलाएं; 
आनंद से, ब्रह्माण्ड तक को महकाएं; 
विश्व में, भारत का गौरव बढाएं " 
भारत भ्रष्टाचार व आतंकवाद से मुक्त हो, 
हम अपने आदर्श व संस्कृति को पुनर्प्रतिष्ठित कर सकें ! 
इन्ही शुभकामनाओं के साथ, 
जनवरी 2015, ही क्यों ? वर्ष के 365 दिन ही मंगलमय हों, 
भवदीय... तिलक 
संपादक युगदर्पण राष्ट्रीय साप्ताहिक हिंदी समाचार-पत्र. YDMS 07531949051.

Bangla... 

 অংগ্রেজী কা নব বর্ষ, ভলে হী মনাএং 

 "অংগ্রেজী কা নব বর্ষ, ভলে হী মনাএং; (দাসত্ব সংকেত / সাইন, যা তুষ্ট হতে পারে) উমংগ উত্সাহ, চাহে জিতনা দিখাএঁ; চৈত্র কে নব রাত্রে, জব জব ভী আযেং; ঘর ঘর সজাএঁ, উমংগ কে দীপক জলাএং; আনংদ সে, ব্রহ্মাণ্ড তক কো মহকাএং; বিশ্ব মেং, ভারত কা গৌরব বঢাএং "জানুয়ারি 1, 2015,হী কেন ? বর্ষ কে 365 দিন হী মংগলময হোং, ভারত ভ্রষ্টাচার ব আতংকবাদ সে মুক্ত হো, হম অপনে আদর্শ ব সংস্কৃতি কো পুনর্প্রতিষ্ঠিত কর সকেং ! ইন্হী শুভকামনাওং কে সাথ, ভবদীয.. তিলক সংপাদক যুগদর্পণ রাষ্ট্রীয সাপ্তাহিক হিংদী সমাচার-পত্র. YDMS 09911111611. 
Tamil... "அங்க்றேழி கா நவ்வர்ஷ், பாளே ஹாய் மணாஎன்"
 "அங்க்றேழி கா நவ்வர்ஷ், பாளே ஹாய் மணாஎன்; (மயக்க இது அடிமைத்தன சமிக்ஞை / அடையாளம்,) உமங்க் உட்சாஹ், சாஹெ சித்னா டிக்ஹாஎன்; செட்ர் கே நவ்ராற்றே, ஜப் ஜப் பீ ஆயேன்; கர் கர் சஜாயேன், உமாங் கே தீபக் ஜலாயேன்; ஆனந்த சே, பிராமாந்து தக் கோ மஹ்காயென்; விஷ்வ மீ, பாரத் கா கௌரவ் படாஎன். "ஜனவரி 1, 2015, ஏன்ஒரே ஒரு? வ வர்ஷ் கே 365 டின் ஹாய் மங்கலமாய் ஹோண், பாரத் பிராஷ்டாச்சர் வ ஆடன்க்வாத் சே முகத் ஹோ, ஹம அப்னே ஆதர்ஷ் வ சன்ச்க்ருடி கோ புன்ர்ப்ரடிஷ்திட் கற் சகேன் ! இன்ஹி சுபா காமனாஒன் கே சாத், பாவ்டிய.. திலக் சம்பாடக் யுக டர்பன் ராஷ்ட்ரிய சப்டாஹிக் ஹிந்தி சமாச்சார்-பற்ற. YDMS 09911111611.
 Eng.  "One may celebrate even English New Year, (Slavery signal / sign, you may coax) with exaltation and excitement; Chaitra Nav Ratre whenever it comes; decorate house, enlighten with lamps of exaltation; enjoy, even enrich the universe with Happiness; Increase the India's pride in the world, Why January 1, 2013, alone ? All the 365 days of the year are Auspicious, May India be free of corruption and terrorism, we can ReEstablish Ideals, values and culture ! with these good wishes, Sincerely .. Tilak editor YugDarpan Hindi national weekly newspaper. YDMS 09,911,111,611.
 Odiya ..not getting ? 
 "Angrejee kaa nav-varsh, bhale hi manaayen; (Gulaami ke sanket /  , jo  manana  chahen ? umang utsaah, chaahe jitnaa dikhaayen; chetr ke nav-raatre, jab jab bhi aayen; ghar ghar sajaayen, umang ke deepak jalaayen; Aanand se, brahmaand tak ko mahkaayen; Vishva me, Bhaarat kaa gaurav badaayen." matr 1 Jan 2015, hi kyon ? varsh ke 365 din hi mangalmay hon, Bhaarat bhrashtaachar v aatankvaad se mukt ho, ham apne aadarsh v sanskruti ko punrpratishthit kar saken ! inhi shubhakaamanaaon ke saath, bhavdiya.. Tilak Sampaadak Yug Darpan Raashtriya Saptaahik Hindi Samaachar-Patra. YDMS 09911111611.
 Telugu "అంగ్రేజీ కా నవ్వర్ష్, భలే హాయ్ మనాఎన్; 
"అంగ్రేజీ కా నవ్వర్ష్, భలే హాయ్ మనాఎన్; (పొగడ్తలు ఇది బానిసత్వం సిగ్నల్ / గుర్తు) ఉమంగ్ ఉత్సః, చాహే జితనా దిఖాఎన్; చేతర్ కె నవరాత్రు, జబ జబ భి ఆయెన్; ఘర్ ఘర్ సజాఎన్, ఉమంగ్ కె దీపక్ జలాఎన్; ఆనంద్ సే, బ్రహ్మాండ్ తక కో మహ్కాఎన్; విశ్వ మే, భారత్ కా గౌరవ్ బదాఎన్. " జనవరి 1, 2015, ఎందుకు మాత్రమే  వ వర్ష కె 365 దిన్ హాయ్ మంగల్మి హాన్, భారత్ భ్రష్టాచార్ వ ఆటన్క్వాద్ సే ముక్త  హో, హం అపనే ఆదర్శ్ వ సంస్కృతి కో పున్ర్ప్రతిశ్తిట్ కర్ సకేన్ ! ఇంహి శుభాకామనావున్ కె సాత్, భవదీయ.. తిలక్ సంపాదక్ యుగ దర్పన్ రాష్ట్రీయ సప్తాహిక్ హిందీ సమాచార్-పాత్ర. YDMS 09911111611.
 Gujrati અંગ્રેઝી કા નવવર્ષ, ભલે હી માંનાયેન; 
"અંગ્રેઝી કા નવવર્ષ, ભલે હી માંનાયેન; (સ્લેવરી સિગ્નલ / સાઇન છે, કે જે મનાવવું શકે છે) ઉમંગ ઉત્સાહ, ચાહે જીતના દીખાયેન; ચેત્ર કે નવરાત્રે, જબ જબ ભી આયેન; ઘર ઘર સજાયેન, ઉમંગ કે દિપક જલાયેન; આનંદ સે, બ્રહ્માંડ તક કો મહ્કાયેન; વિશ્વ મેં, ભારત કા ગૌરવ  બદાયેન. "માત્ર જાન્યુઆરી 1, 2015, શા માટે? વર્ષ કે 365 દિન હી મંગલમય હોં, ભારત ભ્રષ્ટાચાર વ આતંકવાદ સે મુક્ત હો, હમ અપને આદર્શ વ સંસ્કૃતિ કો પુન્ર્પ્રતીશ્થીત કર સકેં ! ઇન્હી શુભકામનાઓન કે સાથ, ભવદીય.. તિલક સંપાદક યુગ દર્પણ રાષ્ટ્રીય સાપ્તાહિક હિન્દી સમાચાર -પત્ર.YDMS 09911111611.
 kannad "ಆಂಗ್ರೆಶಿ ಕಾ ನವ -ವರ್ಷ, ಭಲೇ ಹಿ ಮನಾಯೇನ್; 
"ಆಂಗ್ರೆಶಿ ಕಾ ನವ -ವರ್ಷ, ಭಲೇ ಹಿ ಮನಾಯೇನ್; (ಏಕಾಕ್ಷ ಇದು ಗುಲಾಮಗಿರಿ ಸಂಕೇತ / ಸೈನ್) ಉಮಂಗ್ ಉತ್ಸಃ, ಚಾಹೆ ಜಿತನಾ ದಿಖಾಯೇನ್; ಚೆತ್ರ್ ಕೆ ನವ್ರಾತ್ರೆ, ಜಬ್ ಜಬ್ ಭಿ ಆಯೇನ್; ಘರ್ ಘರ್ ಸಜಾಯೇನ್, ಉಮಂಗ್ ಕೆ ದೀಪಕ್ ಜಲಾಯೇನ್; ಆನಂದ್ ಸೆ, ಬ್ರಹ್ಮಾಂದ್ ತಕ ಕೊ ಮಹ್ಕಾಯೇನ್; ವಿಶ್ವ ಮೇ, ಭಾರತ ಕಾ ಗೌರವ್ ಬದಾಯೇನ್. "ಜನವರಿ 1, 2015, ಏಕೆ ಮಾತ್ರ ವ ವರ್ಷ ಕೆ 365 ದೀನ್ ಹಿ ಮಂಗಲ್ಮಿ ಹೊಂ, ಭಾರತ ಭ್ರಷ್ತಾಚರ್ ವ ಆತಂಕ್ವಾದ್ ಸೆ ಮುಕ್ತ ಹೊ, ಹಮ್ ಅಪನೇ ಆದರ್ಶ್ ವ ಸಂಸ್ಕೃತಿ ಕೊ ಪುನ್ರ್ಪ್ರತಿಷ್ಟ್ಹತ್  ಕರ್  ಸಕೆನ್ ! ಇನ್ಹಿ ಶುಭಕಾಮನಾಒನ್ ಕೆ ಸಾಥ್, ಭಾವ್ದಿಯ.. ತಿಲಕ್ ಸಂಪಾಡಕ್ ಯುಗ ದರ್ಪಣ್ ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಸಪ್ತಾಹಿಕ್ ಹಿಂದಿ ಸಮಾಚಾರ್ -ಪತ್ರ . YDMS 09911111611.
 Gumu. "ਅੰਗ੍ਰੇਜੀ ਦਾ ਨਵਾਂ ਵਰਸ਼ ਭਲੇ ਹੀ ਮਨਾਓ
"ਅੰਗ੍ਰੇਜੀ ਦਾ ਨਵਾਂ ਵਰਸ਼ ਭਲੇ ਹੀ ਮਨਾਓ, ਗੁਲਾਮੀ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕ /ਸੰਕੇਤ, ਉਮੰਗ ਉਤਸਾਹ ਚਾਹੇ ਜਿਤਨਾ ਦਿਖਾਓ; ਚੇਤਰ ਦੇ ਨਵਰਾਤਰੇ ਜਦ ਜਦ ਵੀ ਆਉਣ; ਘਰ ਘਰ ਸਜਾਓ, ਉਮੰਗ ਦੇ ਦੀਪਕ ਜਲਾਓ; ਆਨਾਨਾਦ ਨਾ ਬ੍ਰਹ੍ਮਾੰਡ ਨੂ ਮਹ੍ਕਾਓ, ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਚ, ਭਾਰਤ ਦਾ ਗ਼ੋਰਾਵ ਵਧਾਓ. "1 ਜਨ. 2015 ਹ ਕਯੋਂ ? ਵ ਵਰ੍ਸ਼ ਦੇ 365 ਦਿਨ ਹੀ ਮੰਗਲ ਮਯ ਹੋਣ, ਭ੍ਰਸ਼੍ਟਾਚਾਰ ਤੇ ਆਤੰਕ ਵਾਦ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਮੁਕਤ ਹੋਵੇ, ਅਸਾਂ ਆਪਣੇ ਆਦਰ੍ਸ਼ ਤੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਿ ਨੂੰ ਫੇਰ ਸ੍ਥਾਪਿਤ ਕਰ ਸਕਿਏ ! ਇਨਹਾਂ ਸ਼ੁਭ ਕਾਮਨਾਵਾਂ ਦੇ ਨਾਲ, ਆਪਦਾ.. ਤਿਲਕ -ਸੰਪਾਦਕ ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, ਰਾਸ਼੍ਟ੍ਰੀਯ ਸਾਪ੍ਤਾਹਿਕ ਸਮਾਚਾਰ ਪਤ੍ਰ. YDMS 09911111611.
 malm "അന്ഗ്രെജീ  കാ  നവ വര്‍ഷ, ഭലേ ഹി മനായേന്‍; 
"അന്ഗ്രെജീ  കാ  നവ വര്‍ഷ, ഭലേ ഹി മനായേന്‍; (ഗുലാമി ക പ്രറ്റീക്/സന്കെറ്റ്, ജോ മനന ചാഹെ) ഉമന്ഗ് ഉറ്റ്സാഹ്, ചാഹെ ജിതനാ ദിഖയെന്‍; ചേട്ര്‍ കെ നവ്രട്രെ, ജബ് ജബ് ഭീ ആയെന്‍; ഘര്‍ ഘര്‍ സജായെന്‍, ഉമന്ഗ് കെ ദീപക് ജലായെന്‍; ആനന്ദ് സെ, ബ്രഹ്മാന്ദ് ടാക് കോ മഹാകായെന്‍; വിശ്വ് മി, ഭാരത കാ ഗൌരവ് ബടായെന്‍. "ഐ ജന. 2015 ഹി ക്യോന്‍? വ വര്‍ഷ കെ 365 ദിന്‍ ഹി മങ്ങല്‍മി ഹോണ്‍, ഭാരത ഭ്രാഷ്ടാചാര്‍ വ ആടങ്ക്വാദ് സെ മുക്റ്റ് ഹോ, ഹാം അപ്നെ ആദര്‍ശ് വ സന്സ്ക്രുടി കോ പുന്ര്പ്രടിശ്തിറ്റ് കാര്‍ സകെന്‍ ! ഇന്ഹി ശുഭ കാമ്നാഒന്‌ കെ സാത്, ഭവദീയ.. തിളക് സംപാടാക് യുഗ്ദാര്പന്‍ രാഷ്ട്രീയ ഹിന്ദി സമാചാര്‍ പടര്‍. YDMS 09911111611. 

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रविवार, 28 दिसंबर 2014

Pravasi Bharatiya Divas (PBD) (प्रभादि)

ऐ मातृ भूमि के वंशजो, तुम्हे भारती पुकारती। 
युदस नदि: प्रवासी भारतीय दिवस (प्रभादि) 'पीबीडी' अपने विशाल विदेशी प्रवासी परिजन समुदाय को भारत से जोड़ने के लिए और अपने ज्ञान, विशेषज्ञता और कौशल को एक साझा मंच पर लाने के लिए, प्रवासी भारतीय दिवस कन्वेंशन - प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय (एमओआईए) भारत सरकार का प्रमुख प्रसंग, 07-09 जनवरी 2003 के बाद से हर वर्ष आयोजित किया जाता है। 
भारत के विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय के योगदान को चिह्नित करने के लिए, हर वर्ष 9 जनवरी को इस अवसर का जश्न मनाने के लिए चुना गया है। कि जनवरी 9, 1915 में इस दिन महात्मा गांधी, सबसे बड़ा प्रवासी, दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे, भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया और सदा के लिए भारतीयों के जीवन को बदल दिया था। 
यह सम्मेलन सरकार और विदेशों में बसे भारतीय समुदाय के लिए एक मंच प्रदान करने, पारस्परिक रूप से लाभप्रद गतिविधियों के लिए, और अपने पूर्वजों की भूमि के लोगों को साथ संलग्न करने के लिए 2003 के बाद प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलनों के रूप में हर वर्ष आयोजित किए जा रहे हैं। इन सम्मेलनों में विश्व के विभिन्न भागों में रहने वाले प्रवासी भारतीय समुदाय के बीच संजालन में भी बहुत उपयोगी होते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में अपने अनुभवों को साझा करने के लिए उन्हें सक्षम बनाते हैं।
इस अवसर पर, असाधारण योग्यता के व्यक्तियों को भारत के विकास में उनकी भूमिका की सराहना करने के लिए प्रतिष्ठित प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार से सम्मानित कर रहे हैं। यह अवसर विदेशों में बसे भारतीयों के विषय में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करता है।
प्रभादि के रूप में अब तक भारत के बारह विभिन्न स्थानों में निम्नानुसार आयोजित किया गया है:  2014 नई दिल्ली, 2013 कोच्चि, 2012 जयपुर, 2011 नई दिल्ली, 2010 नई दिल्ली, 2009 चेन्नई, 2008 नई दिल्ली, 2007 नई दिल्ली, 2006 हैदराबाद, 2005 मुंबई, 2004 नई दिल्ली, 2003 नई दिल्ली। 
इसी प्रकार अपनी जड़ों से जोड़ने का एक अभियान 15 वर्ष पूर्व चला एवम विविध विषयों पर 30 ब्लॉग 2010 में आरम्भ हुए, तथा एकल प्रयास द्वारा 70 देशों तक YDMS ने विशिष्ठ पहचान बनाई। -
युग दर्पण, अंतरिक्ष दर्पण, विश्व दर्पण, राष्ट्र दर्पण, समाज दर्पण, युवा दर्पण, शिक्षा दर्पण, जीवन शैली  दर्पण, धर्म संस्कृति दर्पण, ज्ञान विज्ञानं दर्पण, पर्यावरण दर्पण, पर्यटन धरोहर दर्पण, सत्य दर्पण, कार्य क्षेत्र दर्पण, महिला घर परिवार दर्पण, व 15 अन्य। हमारे ब्लॉग लिंक हेतु search YugDarpan - yugdarpan.blogspot.com -Home page menu - विविध ब्लॉग 
भारत के प्रति विश्व सकारात्मक तब होगा जब हम सकारात्मक होंगे, इंडिया के भौतिक रूप को नहीं भारत की आत्मा से सक्षात्कार करेंगे। तिलक YDMS 
Those who want to Join us at PBD (प्रभादि
To connect India to its vast overseas diaspora and bring their knowledge, expertise and skills on a common platform, the PBD Convention - the flagship event of Ministry of Overseas Indian Affairs (MOIA), Government of India is organized from 7th-9th January every year since 2003.
Pravasi Bharatiya Divas (PBD) is celebrated on 9th January every year to mark the contribution of Overseas Indian community in the development of India. January 9 was chosen as the day to celebrate this occasion since it was on this day in 1915 that Mahatma Gandhi, the greatest Pravasi, returned to India from South Africa, led India's freedom struggle and changed the lives of Indians forever.
PBD conventions are being held every year since 2003. These conventions provide a platform to the overseas Indian community to engage with the government and people of the land of their ancestors for mutually beneficial activities. These conventions are also very useful in networking among the overseas Indian community residing in various parts of the world and enable them to share their experiences in various fields.
During the event, individuals of exceptional merit are honoured with the prestigious Pravasi Bharatiya Samman Award to appreciate their role in India's growth. The event also provides a forum for discussing key issues concerning the Indian Diaspora.2003 
So far, twelve PBDs have been held in various places of India as follows: 
2014 New Delhi, 2013 Kochi, 2012 Jaipur, 2011 New Delhi, 2010 New Delhi, 2009 Chennai, 2008 New Delhi, 2007 New Delhi, 2006 Hyderabad, 2005 Mumbai, 2004 New Delhi, 2003 New Delhi 

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हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र, 2001 से
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मंगलवार, 23 दिसंबर 2014

वाजपेयी और मम मालवीय को भारत रत्न

अटल बिहारी वाजपेयी और मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न

युदस नदि: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और महामना मदन मोहन मालवीय को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का निर्णय गुरुवार को आज घोषणा वाजपेयी के 90वें जन्मदिन से एक दिन पूर्व की गई है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया, 'राष्ट्रपति अति हर्ष के साथ पंडित मदन मोहन मालवीय ( मरणोपरांत) और अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित करते हैं।' 
कल अर्थात 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन है, जिसे मोदी सरकार 'सुशासन दिवस' के रूप में मना रही है। संयोग से मदन मोहन मालवीय का जन्मदिन भी 25 दिसंबर को ही पड़ता है। अब तक 43 लोगों को यह सम्मान दिया जा चुका है। ऐेसे में वाजपेयी और मालवीय, इस भारत रत्न सम्मान से विभूषित किये जाने वाले 44वें और 45वें व्यक्ति हैं। भाजपा लंबे समय से वाजपेयी जो भारत रत्न देने की मांग करती रही थी। ऐसे में यह लगभग तय माना जा रहा था कि सत्ता में आने के बाद वह वाजपेयी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान करेगी। अटल भारत रत्न से सम्मानित होने वाले भाजपा से जुड़े पहले नेता हैं। वाजपेयी के साथ-साथ बनारस हिंदू विवि के संस्थापक मदन मोहन मालवीय को भी मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की गई है। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि वाराणसी के लिए निकलने से पूर्व वह अटल बिहारी वाजपेयी से मिलकर, उन्हें जन्मदिन पर शुभकामनाएं देंगे। वाजपेयी को कई ठोस पहल करने का श्रेय दिया जाता है, वे ऐसे प्रथम प्रधानमंत्री बने, जिनका संबंध कभी कांग्रेस से नहीं रहा। भारत के सर्वाधिक चमत्कारी नेताओं में से एक वाजपेयी को एक महान नेता और भाजपा का उदारवादी चेहरा बताया जाता है। वाजपेयी के आलोचक उन्हें संघ का 'मुखौटा' मानते हैं।
दूरदृष्टा और महान शिक्षाविद् मालवीय की मुख्य उपलब्धियों में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना शामिल है। मालवीय को स्वतंत्रता संग्राम में उनकी सशक्त भूमिका और हिंदू राष्ट्रवाद के प्रति उनके समर्थन के लिए भी स्मरण किया जाता है। वह दक्षिणपंथी हिंदू महासभा के आरम्भिक नेताओं में से एक थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं राष्ट्रपति से इन दोनों महान विभूतियों को भारत रत्न से सम्मानित करने की अनुशंसा की थी। 
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प
-युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक
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