Desh Bhakti ke Geet Vedio

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यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है। किन्तु प्रकृति के संसाधनों व उत्कृष्ट मानवीयशक्ति से युक्त इस राष्ट्रको काल का ग्रहण लग चुका है। जिस दिन यह ग्रहणमुक्त हो जायेगा, पुनः विश्वगुरु होगा। राष्ट्रोत्थानका यह मन्त्र पूर्ण हो। आइये, युगकी इस चुनोतीको भारतमाँ की संतान के नाते स्वीकार कर हम सभी इसमें अपना योगदान दें। निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

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स्वपरिचय: जन्म से ही परिजनों से सीखा 'अथक संघर्ष' तीसरी पीडी भी उसी राह पर!

स्व आंकलन:

: : : सभी कानूनी विवादों के लिये क्षेत्राधिकार Delhi होगा। स्व आंकलन: हमारे पिटारे के अस्त्र -शस्त्र हमारे जो 5 समुदाय हैं, वे अपना परिचय स्वयं हैं (1) शर्मनिरपेक्षता का उपचार (2) देश का चौकीदार कहे- देश भक्तो, जागते रहो-संपादक युगदर्पण, (3) लेखक पत्रकार राष्ट्रीय मंच, (राष्ट्र व्यापी, राष्ट्र समर्पित)- संपादक युगदर्पण, (4) युग दर्पण मित्र मंडल, (5) Muslim Rashtriya Ekatmta Manch (MREM) आप किसी भी विषय पर लिखते, रूचि रखते हों, युग दर्पण का हर विषय पर विशेष ब्लाग है राष्ट्र दर्पण, समाज दर्पण, शिक्षा दर्पण, विश्व दर्पण, अंतरिक्ष दर्पण, युवा दर्पण,... महिला घर परिवार, पर्यावरण, पर्यटन धरोहर, ज्ञान विज्ञानं, धर्म संस्कृति, जीवन शैली, कार्य क्षेत्र, प्रतिभा प्रबंधन, साहित्य, अभिरुचि, स्वस्थ मनोरंजन, समाचार हो या परिचर्चा, समूह में सभी समाविष्ट हैं ! इतना ही नहीं आर्कुट व ट्विटर के अतिरिक्त, हमारे 4 चेनल भी हैं उनमें भी सभी विषय समाविष्ट हैं ! सभी विषयों पर सारगर्भित, सोम्य, सुघड़ व सुस्पष्ट जानकारी सुरुचिपूर्ण ढंगसे सुलभ करते हुए, समाज की चेतना, उर्जा, शक्तिओं व क्षमताओं का विकास करते हुए, राष्ट्र भक्ति व राष्ट्र शक्ति का निर्माण तभी होगा, जब भांड मीडिया का सार्थक विकल्प "युग दर्पण समूह" सशक्त होगा ! उपरोक्त को मानने वाला राष्ट्रभक्त ही इस मंच से जुड़ सकता है.: :

बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

गुरुवार, 14 जुलाई 2016

संयुक्त राष्ट्र में भारत की गूँज -

संयुक्त राष्ट्र में भारत की गूँज - 

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में दिया पाक को करारा जवाबतिलक राज रेलन
इस बार संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को किसी मुद्दे पर भारतीय प्रतिनिधि अकबरूद्दीन ने एक अभूतपूर्व उत्तर दिया है। उसे वैसा उत्तर यदि स्वतन्त्र भारत के 67 के आरम्भ से कभी मिला होता, तो संभवत: भारत को इतने वर्ष यह आतंकवाद के संकट तथा उससे संघर्ष तथा इधर उधर नष्ट नहीं करने पड़ते। स्वतन्त्रता के 67 वर्ष बाद भी भारत लुटा पिटा न होता जैसा भ्रष्ट काँग्रेस 2014 में छोड़ कर गई है। अकबरूद्दीन इसके लिए प्रशंसा के पात्र हैं। 
इससे लगता है मोदी के आने से जितना संकट भ्रष्ट सोनिया काँग्रेस पर आया है, उससे कहीं अधिक पाक समर्थित आतंकियों पर आया है। अब तक संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान जो मुद्दे उठाता था, उसका हल्का फुल्का सांकेतिक उत्तर मात्र खानापूर्ति हेतु दे दिया जाता था। उसे संकेत मिल जाता तुम कुछ भी करते रहो कोई कड़ा विरोध नहीं होगा। पहले तो तुम्हारी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया जायेगा। फिर यदि तुम भारत में ही आकर भारत का झंडा जलाओगे, यहाँ के लोगों को आतंकित भी करोगे हम चुप रहेंगे। उल्टा जो कश्मीर में भारत का झंडा फहराएगा उसे दण्डित करेंगे। अब तक यही चला। 
इतना ही नहीं कभी आतंरिक दबाव में कुछ कार्यवाही करनी भी पड़ी तो तुम संयुक्त राष्ट्र जैसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं में जाकर मुद्दा उठाओगे वहाँ ढंग से तुम्हारा विरोध नहीं करेंगे। ऐसा अब तक होता आया है। यही कारण है पाकिस्तान सर ही चढ़ गया। अब पुराने ढर्रे पर चलते सदा की भाँति हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने उठाया। किन्तु किन्तु वह भूल गया कि अब तक वहां का सुखद मौसम बदल चुका था। 
जब हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने उठाया तब उस पर कड़ा पलटवार करते हुए भारत ने कहा है कि पाकिस्तान आतंकियों का ‘गुणगान’ करता है और दूसरों के भूभाग के लालच में आतंकवाद का उपयोग उसकी सरकारी नीति है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरूद्दीन ने पाकिस्तान की दूत मलीहा लोदी की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में मानवाधिकारों पर चर्चा के मध्य कश्मीर और वानी की मौत के बारे में उल्लेख किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। 
मलीहा ने अपने वक्तव्य में कश्मीर का तो मुद्दा उठाया ही था, साथ ही साथ उसे ‘कश्मीरी नेता’ बताया और भारतीय बलों द्वारा वानी की ‘न्यायेत्तर हत्या’ का भी उल्लेख किया। अकबरूद्दीन के वक्तव्य को सूत्रों ने पाकिस्तान को अब तक दिया गया सबसे करारा उत्तर माना है। अकबरूद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान आतंकियों का गुणगान करता है और इसे इसके ‘विगत इतिहास’ के कारण ही अब तक संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन में सदस्यता नहीं मिल सकी है। बहुपक्षीय वैश्विक संस्था में कश्मीर का मुद्दा उठाने के लिए मलीहा पर बरसते हुए अकबरूद्दीन ने कहा कि यह खेदजनक है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के मंच का ‘दुरूपयोग’ करने का प्रयास किया। 
अकबरूद्दीन का वक्तव्य 
अकबरूद्दीन ने कहा, ‘‘अफसोस है कि आज हमने संयुक्त राष्ट्र मंच के दुरूपयोग का प्रयास होते देखा। यह प्रयास पाकिस्तान ने किया, एक ऐसा देश जो दूसरों के भूभाग का लालच करता है, एक ऐसा देश जो दिग्भ्रमित लक्ष्य की पूर्ति के लिए आतंकवाद को एक सरकारी नीति के रूप में इस्तेमाल करता है, एक ऐसा देश जो आतंकियों का गुणगान करता है और संयुक्त राष्ट्र की ओर से आतंकी घोषित किए गए लोगों को पनाहगाह उपलब्ध करवाता है। यह एक ऐसा देश है जो मानवाधिकारों और स्वाधीनता का स्वांग रचता है।’’ अकबरूद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान का ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह समझाने में विफल रहा है कि उसे संयुक्त राष्ट्र महासभा के इसी सत्र में मानवाधिकार परिषद की सदस्यता मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय लंबे समय से ऐसे मंसूबे, स्वार्थी कोशिशें देखता आया है। ऐसी ही एक कोशिश आज सुबह हुई। इन्हें इस मंच में या संयुक्त राष्ट्र में कहीं और कोई तवज्जो नहीं मिली।’’ 
उन्होंने कहा कि एक ‘‘विविध, बहुलतावादी और सहिष्णु’’ समाज होने के नाते कानून के शासन, लोकतंत्र और मानवाधिकारों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता उसके मूल सिद्धांतों में है। तथा कहा, ‘‘हम वार्ता और सहयोग के जरिए सभी के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए और उसकी सुरक्षा करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं।’’ गत सप्ताह हुई वानी की हत्या के बाद से प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई झड़पों में कम से कम 30 लोग मारे गए हैं और 250 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर की तनावपूर्ण स्थिति पर चिंता प्रकट की है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने ‘‘सभी पक्षों से अत्यधिक संयम बरतने की अपील की है ताकि और अधिक हिंसा से बचा जा सके। उन्होंने आशा जताई कि सभी चिंताओं का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से किया जाएगा।’’ बान के प्रवक्ता ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख कश्मीर की वर्तमान झड़पों को ध्यान से देख रहे हैं और उन्हें दर्जनों लोगों की जान जाने और बहुत से लोगों के घायल हो जाने का ‘खेद’ है। 
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक

सोमवार, 11 जुलाई 2016

भाप्रौसं मुंबई की दीक्षांत समारोह पोशाक होगी खादी !

भाप्रौसं मुंबई की दीक्षांत समारोह पोशाक होगी खादी ! 
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नदि तिलक। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भाप्रौसं), मुंबई ने अपने दीक्षांत समारोह की पोशाक के लिए खादी का चयन किया है। गुजरात विश्वविद्यालय के बाद अब खादी ने प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भाप्रौसं), मुंबई के अधिकारियों के दिल में स्थान बनाया है। खादी अपनाने के बारे में आग्रह और लोकप्रियता से आकर्षित होकर संस्थान ने दीक्षांत समारोह के समय छात्रों द्वारा पहने जाने के लिए 3,500 खादी के अंगवस्त्रम बनाने को कहा गया है। यह एक महत्वपूर्ण पग है और यह दर्शाता है कि खादी का स्थान जीवन के हर क्षेत्र में बढ़ रहा है। भाप्रौसं मुंबई के निदेशक प्रोफेसर देवांग खाखर ने कहा कि खादी हमारा राष्ट्रीय प्रतीक है और छात्रों में राष्ट्रीयता की भावना भरने के लिए हमने खादी को अपनाया है। 
हमें, यह मैकाले की नहीं, विश्वगुरु की शिक्षा चाहिए।
आओ, जड़ों से जुड़ें, मिलकर भविष्य उज्जवल बनायें।।- तिलक
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गुरुवार, 7 जुलाई 2016

वस्तु एवं सेवा कर (वसेक) सभी दलों से बात करेंगे: अनंत

वस्तु एवं सेवा कर (वसेक) सभी दलों से बात करेंगे: अनंत 
जीएसटी के लिए राजनीतिक दलों से बात करेंगे: अनंतनदि तिलक। केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने दावा किया कि पूरा देश वस्तु एवं सेवा कर (वसेक) के पक्ष में है और कहा कि इस ‘अति महत्वपूर्ण’ विधेयक को पारित कराना उनकी प्राथमिकता होगी जिसके लिए सरकार सभी राजनीतिक दलों से बात करेगी। संसदीय मामलों के मंत्री का नया पद भार संभालने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘जीएसटी बेहद महत्वपूर्ण विधेयक है। पूरा देश शीघ्रातिशीघ्र इस विधेयक को पारित कराने के पक्ष में है। हम मानसून सत्र में इसे पारित कराने के संबंध में सभी राजनीतिक दलों से बात करेंगे, चर्चा करेंगे और आग्रह करेंगे ताकि इसे जितनी जल्दी हो लागू किया जा सके।’’ 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार को मंत्रालयों में परिवर्तन किए जाने के बाद कुमार को यह प्रभाग दिया गया है। यह मंत्रालय इससे पूर्व केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू के पास था। कांग्रेस के वसेक (जीएसटी) विरोध के बारे में पूछने पर कुमार ने कहा कि वह और मंत्रालय में उनके सहयोगी मंत्री एसएस अहलूवालिया और मुख्तार अब्बास नकवी प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए दायित्वों को पूरा करने पर काम करेंगे। संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होगा। उन्होंने कहा, ‘‘इस सत्र में कई ऐसे विधेयक पारित करने की आवश्यकता है क्योंकि ये देश के आर्थिक क्षेत्र के दृष्टी से अति महत्वपूर्ण हैं। इसलिए हम इस सत्र में उन्हें पारित कराने के लिए सभी राजनीतिक दलों के साथ बात करेंगे।’' 
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बुधवार, 6 जुलाई 2016

मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार, जावडेकर को मिली पदोन्नति (5.7.2017)

मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार, जावडेकर को मिली पदोन्नति (5.7.2017) 

मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार, जावडेकर को मिली पदोन्नतिप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए उसमें 10 राज्यों से 19 नये चेहरों को स्थान दिया। मोदी कबीना में पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे प्रकाश जावडेकर को पदोन्नत कर कबीना मंत्री बनाया गया है। राज्य मंत्री के रूप में शामिल किये गये लोगों में, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, दार्जिलिंग से लोकसभा सदस्य एसएस आहलुवालिया, मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद अनिल माधव दवे, कर्नाटक से पांचवीं बार लोकसभा सदस्य रमेश चंदप्पा, अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल, भाजपा प्रवक्ता और वरिष्ठ पत्रकार एमजे अकबर, शामिल हैं। 

इनके अतिरिक्त अर्जुन मेघवाल, विजय गोयल, महाराष्ट्र दलित नेता रिपा सांसद रामदास अठावले, सुविख्यात कैंसर शल्य विशेषज्ञ सुभाष राम राव भामरे, असम के नौगांव से भाजपा सांसद राजन गोहेन, गुजरात से जसवंत सिंह भाम्भोर, व मनसुख मांडविया, उप्र से महेंद्र नाथ पण्डे, व कृष्णा राज, उत्तराखंड से अजय टम्टा, राजस्थान नागौर से च रा चौधरी, व पीपी चौधरी  ने भी पद व गोपनीयता की शपथ ली है। संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत मं परि की सदस्य संख्या अधिकतम 82 संभव है। 

अमित शाह शीघ्र ही संगठनात्मक पदाधिकारियों की घोषणा कर सकते हैं। अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, हटाए जाने वाले 6 मंत्रियों में से 5 की प्रगति से असंतुष्ट तथा 1 को संगठन का दायित्व दिया जाने के समाचार हैं। शिवसेना द्वारा मंत्रिमंडल विस्तार समारोह का बहिष्कार का निर्णय बदल कर एक शुभ संकेत दिया गया। शिवसेना को भी एक मंत्री पद दिये जाने की बात थी किन्तु संभवतः दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बन पाई। 

एक दो मंत्रियों के विभाग परिवर्तन के साथ नए म्नत्रियों के विभागों की घोषणा की जानी है। कहा जा रहा है, दो वर्ष से विकास ने जो दिशा पकड़ी है उसे और अधिक गति देने के साथ प्रतिनिधित्व का भी ध्यान रख गया है। शुभकामनाओं सहित -तिलक 
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केंद्रीय मंत्रीमंडल में मंत्रियों और उन्हें आवंटित विभागों की सूची निम्नलिखित है- 
नरेन्द्र मोदी: प्रधानमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष
राजनाथ सिंहः गृह
सुषमा स्वराजः विदेश मंत्रालय
अरुण जेटलीः वित्त कारपोरेट मामले
एम. वैंकैय्या नायडूः शहरी विकास आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन, सूचना और प्रसारण
नितिन जयराम गडकरीः सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, जहाजरानी
मनोहर पर्रिकर- रक्षा
सुरेश प्रभु- रेल
डी.वी. सदानंद गौड़ाः सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन
उमा भारतीः जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण
डॉ. नजमा ए. हेपतुल्लाः अल्पसंख्यक मामले
राम विलास पासवानः उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण
कलराज मिश्रः सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम
मेनका संजय गांधीः महिला एवं बाल विकास
अनंत कुमारः रसायन एवं उर्वरक, संसदीय कार्य
रविशंकर प्रसादः संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, विधि एवं न्याय
जगत प्रकाश नड्डाः स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
अशोक गजपति राजूः नागरिक उड्डयन
अनंत गीतेः भारी उद्योग एवं लोक उद्यम
हरसिमरत कौर बादलः खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
नरेन्द्र सिंह तोमरः ग्रामीण विकास, पंचायती राज, स्वच्छता एवं पेयजल
चौधरी बिरेंदर सिंहः इस्पात
जुएल उरांवः जनजातीय मामले
राधा मोहन सिंहः कृषि
थावरचन्द गेहलोतः सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता
स्मृति जुबिन ईरानीः कपड़ा
डॉ. हर्ष वर्धनः विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान
प्रकाश जावडेकरः मानव संसाधन विकास 
राज्य मंत्री 
राव इन्द्रजीत सिंहः योजना (स्वतंत्र प्रभार), शहरी विकास, गरीबी उन्मूलन
बंडारू दत्तात्रेयः श्रम और रोजगार (स्वतंत्र प्रभार)
राजीव प्रताप रूडी कौशल विकास और उद्यमिता (स्वतंत्र प्रभार)
विजय गोयलः युवा एवं खेल (स्वतंत्र प्रभार)
श्रीपद यसो नायकः आयुष (स्वतंत्र प्रभार)
धर्मेन्द्र प्रधानः पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस (स्वतंत्र प्रभार)
पीयूष गोयलः विद्युत (स्वतंत्र प्रभार), कोयला (स्वतंत्र प्रभार), नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा (स्वतंत्र प्रभार)
डॉ. जितेन्द्र सिंहः पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री
निर्मला सीतारमणः वाणिज्य एवं उद्योग (स्वतंत्र प्रभार)
डॉ. महेश शर्माः संस्कृति (स्वतंत्र प्रभार), पर्यटन (स्वतंत्र प्रभार)
मनोज सिन्हाः संचार (स्वतंत्र प्रभार), रेल राज्य मंत्री
अनिल माधव दवेः पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन (स्वतंत्र प्रभार)
वीके सिंहः विदेश राज्य मंत्री 

राज्यमंत्री
संतोष कुमार गंगवारः वित्त
फग्गन सिंह कुलस्तेः स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
मुख्तार अब्बास नकवीः अल्पसंख्यक मामले, संसदीय कार्य
एसएस अहलूवालियाः कृषि एवं किसान कल्याण, संसदीय कार्य
रामदास अठावलेः सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण
राम कृपाल यादवः ग्रामीण विकास
हरिभाई पर्थिभाई चौधरीः सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम
गिरिराज सिंहः सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम
हंसराज गंगाराम अहीरः गृह
जीएम सिद्धेश्वरः भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम
रमेश चंदप्पा जिगाजीनगीः पेयजल एवं स्वच्छता
राजन गोहेनः रेल
पुरूषोत्तम रूपालाः कृषि एवं किसान कल्याण, पंचायती राज
एमजे अकबरः विदेश
उपेंद्र कुशवाहाः मानव संसाधन विकास
राधाकृष्णन पीः सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग, पोत
किरेन रिजिजूः गृह
कृष्णपालः सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता
जसवंतसिंह सुमनभाई भाभोरः आदिवासी मामले
डॉक्टर संजीव कुमार बाल्यानः जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सफाई
विष्णु देव साईः इस्पात
सुदर्शन भगतः कृषि एवं किसान कल्याण
वाईएस चौधरीः विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
जयंत सिन्हाः नागरिक उड्डयन
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ः सूचना एवं प्रसारण
बाबुल सुप्रियोः शहरी विकास, आवासीय एवं शहरी गरीबी उन्मूलन
साध्वी निरंजन ज्योतिः खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
विजय सापलाः सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता
अर्जुन राम मेघवालः वित्त, कारपोरेट मामले
डॉक्टर महेंद्र नाथ पाण्डेयः मानव संसाधन विकास
अजय टमटाः कपड़ा
कृष्ण राजः महिला एवं बाल विकास
मनसुख एल मानडावियाः सड़क परिवहन, राजमार्ग, पोत, रसायन एवं उर्वरक
अनुप्रिया पटेलः स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
सीआर चौधरीः उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं जन वितरण
पीपी चौधरीः विधि एवं न्याय, इलेक्ट्रानिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी
डॉक्टर सुभाष रामराव भामरेः रक्षा
रामदास अठावलेः सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता 
वीडिओ १) 
https://www.youtube.com/watch?v=zvYZxljLmxE&list=PL07E4C2D4718D3CC6&index=89
२)https://www.youtube.com/watch?v=zvYZxljLmxE&list=PL691A4A699E3CFAC5&index=71 
३)https://www.youtube.com/watch?v=zvYZxljLmxE&list=PLaypC1Q7dot1H10Bpau0He3_N5ceZpG-S&index=8
नकारात्मक भांड मीडिया जो असामाजिक तत्वों का महिमामंडन करे, उसका सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, प्रेरक राष्ट्र नायको का यशगान -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS - तिलक संपादक
http://sarvasamaachaardarpan.blogspot.in/2016/07/blog-post.html 
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है| -युगदर्पण
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक

शुक्रवार, 3 जून 2016

कम्पू जी - यू पी (उ प्र) ब्रांड रूप -

 कम्पू जी -
यू पी (उ प्र) को ब्रांड के रूप में स्थापित करें देश के राजदूत : मु मं  
कम्पू जी - जैसे जवाहर बाग़ में अतिक्रमणकारियों ने अब तक कर रखा था ? 










यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी
इसमें वह गुण, योग्यता व क्षमता विद्यमान है |
आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक

गुरुवार, 2 जून 2016

जल संकट से निबटने में जन भागीदारी का हो साथ

जल संकट से निबटने में जन भागीदारी का हो साथ 

जल संकट से निबटने को जन भागीदारी बेहद जरूरीप्रधानमंत्री ने जल संकट के समाधान को लेकर कई प्रदेशों द्वारा अपने स्तर पर किये गये प्रयासों की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। इसके बाद भी तथ्य यह है कि वर्तमान में देश के एक दर्जन से राज्यों में सूखे की स्थिति हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात' के 20वें संस्करण में देश में व्याप्त जल संकट से निबटने के लिये जन भागीदारी की अपील की है। ऐसे में मूल प्रश्न यह है कि प्रधानमंत्री की मन की बात देश की जनता के मन को कितना प्रभावित करेगी। क्या प्रधानमंत्री की चिंता और अपील से प्रभावित होकर देशवासी जल दुरूपयोग से लेकर संचयन तक के उपायों को अपनाएंगे। प्रश्न यह भी है कि करोड़ों−अरबों की योजनाओं और भारी भरकम मंत्रालयों एवं सरकारी मशीनरी के बाद भी देश में जल संकट ऐसा गंभीर रूप क्यों धारण कर रहा है। और समाज का बड़ा भाग पर्याप्त पानी से वंचित है। हम सबको सोचना होगा कि, क्या पानी हमारी आवश्यकता भर है, क्या हर जीव की इस आवश्यकता को पूरा करने के प्रति हमारा कोई दायित्व नहीं? कैसे मिलेगा पानी, जब हम उसे नहीं बचाएंगे? इन सभी प्रश्नों के उत्तर में हमें शर्मिंदा होना चाहिए, क्योंकि भारत का भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। ये आने वाले भयावह समय का संकेत है, जब हम पानी की एक बूंद के लिए तरस जाएंगे। 
बचपन से लेकर अभी तक हमें जल के महत्व के बारे में पढ़ाया जाता रहा है, किन्तु इस पर हम कभी व्यवहार नहीं करते हैं। दैनिक जीवन में जाने−अनजाने में हम जल का अपव्यय खूब करते हैं। सवेरे उठते ही सबसे पहले हम शौच के लिए जाते हैं, उसके बाद हम ब्रश या दातून से अपने दांतों की सफाई करते हैं। फिर हम घर की सफाई करते हैं, कपड़े धोते हैं, नहाते हैं, चाय पीते हैं, भोजन पकाते हैं, खेतों की सिंचाई करते हैं और सबसे मुख्य बात है कि पानी पीते हैं। देखा जाए तो हमारे दैनिक जीवन में पानी सबसे बड़ी आवश्यकता है, इसके बिना हम जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं। भोजन या अन्य चीजों का विकल्प हो सकता है, किन्तु पानी का विकल्प अभी कुछ भी नहीं है। जन्म से लेकर मृत्यु तक यह एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जिसे हम कभी भी नहीं खोना चाहते हैं। पृथ्वी पर जल की उपलब्धता इस समय प्राय: 73 % है, जिसमें मानवों के उपयोग करने योग्य जल मात्र 2.5 % है। 2.5 % पानी पर ही पूरा विश्व निर्भर है। देश के जितने भी बड़े बांध हैं, उनकी क्षमता 27 % से भी कम रह गई है। 91 जलाशयों का पानी का स्तर गत एक वर्ष में 30 % से भी नीचे पहुंच चुका है। 
स्वतंत्रता बाद से देश में लगभग सभी प्राकृतिक संसाधनों की निर्ममता से लूट हुई है। जल का तो कोई मुल्य हमारी दृष्टी में कभी रहा ही नहीं। हम यही सोचते आये हैं कि प्रकृति का यह अमुल्य कोष कभी कम नहीं होगा। हमारी इसी सोच ने पानी की बर्बादी को बढ़ाया है। नदियों में बढ़ते प्रदूषण और भूजल के अंधाधुंध दोहन ने गंगा गोदावरी के देश में जल संकट खड़ा कर दिया है। यह किसी त्रासदी से कम है क्या कि महाराष्ट्र के लातूर में पानी के लिए खूनी संघर्ष को रोकने के लिए धारा 144 लागू है। कई राज्य भयानक सूखे की स्थिति में हैं। कुंए, तालाब लगभग सूख गए हैं। बावड़ियों का अस्तित्व समाप्त प्राय है। भूजल का स्तर निम्नतम जा चुका है। जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ने के साथ कल−कारखाने, उद्योगों और पशुपालन को बढ़ावा दिया गया, उस अनुपात में जल संरक्षण की ओर ध्यान नहीं गया जिस कारण आज गिरता भूगर्भीय जल स्तर घोर चिंता का कारण बना हुआ है। अब लगने लगा है कि आगामी विश्व यु़द्ध पानी के लिए ही होगा। 
जल संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय झारखण्ड के सिमोन उरांव वर्तमान जल संकट को लेकर कहते हैं कि 'लोग धरती से पानी निकालना जानते हैं। उसे देना नहीं।' देखा जाए तो पहले सभी स्थानों पर तालाब, कुएं और बांध थे, जिसमें बरसात का पानी जमा होता था। अब धड़ल्ले से बोरिंग की जा रही है। जिससे वर्षा का पानी जमा नहीं हो पाता है। शहरों में तो जितनी भूमि बची थी लगभग सभी में अपार्टमेंट और घर बन रहे हैं। उनमें धरती का कलेजा चीरकर 800−1000 फुट नीचे से पानी निकाला जा रहा है। वहां से पानी निकल रहा है, पर जा नहीं रहा तो ऐसे में जलसंकट नहीं होगा तो क्या होगा? विश्व में जल का संकट कोने−कोने व्याप्त है। आज हर क्षेत्र में विकास हो रहा है। विश्व औद्योगीकरण की राह पर चल रहा है, किंतु स्वच्छ और रोग रहित जल मिल पाना कठिन हो रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा 29 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में किए गए मूल्यांकन में 445 नदियों में से 275 नदियां प्रदूषित पाई गईं। विश्व भर में स्वच्छ जल की अनुपलब्धता के चलते ही, जल जनित रोग महामारी का रूप ले रहे हैं। 
आंकड़ों के अनुसार अभी विश्व में प्राय: पौने 2 अरब लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है। यह सोचना ही होगा कि केवल पानी को हम किसी कल कारखाने में नहीं बना सकते हैं इसलिए प्रकृति प्रदत्त जल का संरक्षण करना है और एक−एक बूंद जल के महत्व को समझना होना होगा। हमें वर्षा जल के संरक्षण के लिए चेतना ही होगा। अंधाधुंध औद्योगीकरण और तेजी से फैलते कंक्रीट के जंगलों ने धरती की प्यास को बुझने से रोका है। धरती प्यासी है और जल प्रबंधन के लिए कोई ठोस प्रभावी नीति नहीं होने से, स्थिति अनियंत्रित होती जा रही है। कहने को तो धरातल पर तीन चौथाई पानी है किन्तु पीने योग्य कितना यह सर्वविदित है! रेगिस्तानी क्षत्रों का भयावह चित्र चिंतनीय और दुखद है। पानी के लिए आज भी लोगों को मीलों पैदल जाना पड़ता है। आधुनिकता से रंगे इस काल में भी प्यास बुझाने हेतु जल जनित रोग हो जाएं और प्राण संकट पर भी गंदा पानी पीना बाध्यता है। 
प्रधानमंत्री ने जल संकट से उबरने के लिये जन भागीदारी की अपील की है। ये सच है कि बड़े से बड़ी सरकार या व्यवस्था बिना जन भागीदारी के अपने मंतव्यों और उद्देश्यों में सफल नहीं हो सकती है। जहां देश के अनेक शहरों, कस्बों और गांवों में पानी का भारी संकट है, और स्थानीय नागरिक सरकार और सरकारी तंत्र आश्रित हाथ पर हाथ धरकर बैठे हैं वहीं कुछ ऐसे उदहारण भी हैं जहां स्थानीय लोगों ने अपने बल पर जल संकट से मुक्ति पाई है। बेंगलुरु की सरजापुर रोड पर स्थित आवासीय कॉलोनी 'रेनबो ड्राइव' के 250 घरों में पानी की आपूर्ति तक नहीं थी। आज यह कॉलोनी पानी के मामले में आत्मनिर्भर है और यहां से दूसरी कॉलोनियों में भी पानी आपूर्ति देने लगा है। यह संभव हुआ है पानी बचाने, संग्रह करने और पुनः उपयोगी बनाने से। वर्षा जल संग्रहण के लिए कॉलोनी के हर घर में पुनरुपयोग कुएं बनाए गए हैं। राजस्थान के लोगों ने मरी हुई एक या दो नहीं, बल्कि सात नदियों को फिर से जीवन देकर ये प्रमाणित कर दिया है कि मानव में यदि दृढ़ शक्ति हो तो कुछ भी संभव हो सकता है। जब राजस्थान के लोग, राजस्थान की सात नदियों को पुनर्जीवित कर सकते हैं तो शेष नदियां साफ क्यों नहीं हो सकती हैं? पंजाब के होशियारपुर में बहती काली बीन नदी कभी अति प्रदूषित थी। किन्तु सिख धर्मगुरु बलबीर सिंह सीचेवाल की पहल ने उस नदी को स्वच्छ करवा दिया। 
देश में पानी की समस्या अपने चरम पर है। जल अपव्यय धड़ल्ले से हो रहा है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि लोग इसके महत्त्व के बारे में जानते हुए भी निश्चिन्त बने हुए हैं और इसका अपव्यय कर रहे हैं। हमें यह समझना होगा और समझाना होगा कि प्रकृति ने हमें कई अमुल्य उपहार सौंपे है उनमें से पानी भी एक है। इसलिए हमें इसे सहेज कर रखना है। पानी की कमी को वही लोग समझ सकते हैं, जो इसकी कमी से दो चार होते हैं। हम खाने के बिना दो−तीन दिन जीवित रह सकते हैं किन्तु जल बिना जीवन की कल्पना ही असम्भव -सा लगता है। आय के साधन जुटाने में मनुष्य पानी का अंधाधुंध उपयोग कर रहा है। हमें भविष्य की चिंता बिल्कुल नहीं है और न ही हम करना चाहते हैं। यदि विकास की अंधी दौड़ में मनुष्य इसी प्रकार लगा रहा तो हमारी आने वाली पीढ़ी प्रकृति के अमुल्य उपहार जल से वंचित रह सकती है। 
वर्षा के मौसम में जो पानी बरसता है उसे संरक्षित करने की पूर्ववर्ती सरकार की कोई योजना नहीं रही। ऐसे में समस्या तो होगी ही। वर्षा से पूर्व गांवों में छोटे−छोटे लघु बांध बनाकर वर्षा जल को संरक्षित किया जाना चाहिए। शहर में जितने भी तालाब और बांध हैं। उन्हें गहरा किया जाना चाहिए जिससे उनकी जल संग्रह की क्षमता बढ़े। सभी घरों और अपार्टमेंट में जल संचयन को अनिवार्य किया जाना चाहिए तभी जलसंकट का सामना किया जा सकेगा। गांव और टोले में कुआं रहेगा, तो उसमें वर्षा का पानी जायेगा। तब भूजल और वर्षा का पानी मेल खाएगा। आवश्यक नहीं है कि आप भगीरथ बन जाएं, किन्तु दैनिक जीवन में एक−एक बूंद बचाने का प्रयास तो कर ही सकते हैं। खुला हुआ नल बंद करें, अनावश्यक पानी बहाया न करें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें। इसे अपना अभ्यास बनायें। हमारा छोटा सा अभ्यास आने वाली पीढ़ियों को जल के रूप में जीवन दे सकता है। एक रपट के अनुसार, भारत 2025 तक भीषण जल संकट वाला देश बन जाएगा। हमारे पास मात्र आठ वर्षों का समय है, जब हम अपने प्रयासों से धरती की बंजर होती कोख को पुन: सींच सकते हैं। यदि हम जीना चाहते हैं, तो हमें ये करना ही होगा। 
मई में हमारे प्र मं ने विभिन्न राज्यों के मु मं से बैठकों द्वारा इस समस्या के समाधान के जो अपूर्व प्रभावी उपाय किये हैं, उसे जनसहभागिता का हमारा योगदान, भारत में 2025 तक भीषण जल संकट की उस सम्भावना का यह प्रबल प्रत्युत्तर होगा। हम बदलें, देश बनेगा; भविष्य बनेगा -वन्देमातरम। 
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता |
आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी
इसमें वह गुण, योग्यता व क्षमता विद्यमान है |
आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
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बुधवार, 23 मार्च 2016

प्रधानमंत्री ने भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू को दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री ने भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू को दी श्रद्धांजलि 
तिलक 
23 मार्च 16  न दि 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को सर्वोच्च बलिदान उनके पर श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘मैं भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को उनके शहीदी दिवस के अवसर पर नमन करता हूं और पीढ़ियों को प्रेरणा देने वाले उनके अदम्य साहस और देशभक्ति के लिए उन्हें नमन करता हूं।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘अपने युवाकाल में इन तीन बहादुर लोगों ने अपने जीवन त्याग दिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां आजादी की हवा में सांस ले सकें।’’ आज ही के दिन भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को निर्धारित समय से कुछ घंटे पूर्व ही फांसी पर चढ़ा दिया गया था। इन तीनों को लाहौर कांड मामले में मृत्यु दंड की घोषणा की गई थी। प्रधानमंत्री ने समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया को भी उनकी जयंती के अवसर पर स्मरण किया। उन्होंने लोहिया को ‘‘एक ऐसा विद्वान और मौलिक विचारक’ बताया, जिन्होंने दूसरे दलों के लोगों को भी प्रेरणा दी।'' 
मोदी ने लोहिया के उस पत्र की भी एक प्रति सार्वजनिक की, जो उन्होंने महात्मा गांधी को 30 अप्रैल, 1941 को बरेली सेंट्रल जेल से लिखा था। इस पत्र में लोहिया ने अलमोड़ा के हरि दत्त कंदपाल का परिचय गांधी से करवाया था। पत्र में उन्होंने कहा था कि कंदपाल अहिंसा में गहरा विश्वास रखने वाले व्यक्ति हैं और जेल से मुक्त होने के बाद उनसे (गांधी से) मिलना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कांची मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का भी उनके सहस्र चंद्र दर्शन के विशेष अवसर पर अभिनंदन किया और उन्हें शुभकामनाएं दीं। मोदी ने कहा, ‘‘कांची मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी को, उनके सहस्र चंद्र दर्शन के विशेष अवसर पर, मेरी हार्दिक बधाई।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘पूज्य शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी ने अपना जीवन सेवा और आध्यात्मिकता के प्रति समर्पित कर दिया है। मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य और दीघायु होने की कामना करता हूं।'' 
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें
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