Desh Bhakti ke Geet Vedio

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यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है। किन्तु प्रकृति के संसाधनों व उत्कृष्ट मानवीयशक्ति से युक्त इस राष्ट्रको काल का ग्रहण लग चुका है। जिस दिन यह ग्रहणमुक्त हो जायेगा, पुनः विश्वगुरु होगा। राष्ट्रोत्थानका यह मन्त्र पूर्ण हो। आइये, युगकी इस चुनोतीको भारतमाँ की संतान के नाते स्वीकार कर हम सभी इसमें अपना योगदान दें। निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

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स्वपरिचय: जन्म से ही परिजनों से सीखा 'अथक संघर्ष' तीसरी पीडी भी उसी राह पर!

स्व आंकलन:

: : : सभी कानूनी विवादों के लिये क्षेत्राधिकार Delhi होगा। स्व आंकलन: हमारे पिटारे के अस्त्र -शस्त्र हमारे जो 5 समुदाय हैं, वे अपना परिचय स्वयं हैं (1) शर्मनिरपेक्षता का उपचार (2) देश का चौकीदार कहे- देश भक्तो, जागते रहो-संपादक युगदर्पण, (3) लेखक पत्रकार राष्ट्रीय मंच, (राष्ट्र व्यापी, राष्ट्र समर्पित)- संपादक युगदर्पण, (4) युग दर्पण मित्र मंडल, (5) Muslim Rashtriya Ekatmta Manch (MREM) आप किसी भी विषय पर लिखते, रूचि रखते हों, युग दर्पण का हर विषय पर विशेष ब्लाग है राष्ट्र दर्पण, समाज दर्पण, शिक्षा दर्पण, विश्व दर्पण, अंतरिक्ष दर्पण, युवा दर्पण,... महिला घर परिवार, पर्यावरण, पर्यटन धरोहर, ज्ञान विज्ञानं, धर्म संस्कृति, जीवन शैली, कार्य क्षेत्र, प्रतिभा प्रबंधन, साहित्य, अभिरुचि, स्वस्थ मनोरंजन, समाचार हो या परिचर्चा, समूह में सभी समाविष्ट हैं ! इतना ही नहीं आर्कुट व ट्विटर के अतिरिक्त, हमारे 4 चेनल भी हैं उनमें भी सभी विषय समाविष्ट हैं ! सभी विषयों पर सारगर्भित, सोम्य, सुघड़ व सुस्पष्ट जानकारी सुरुचिपूर्ण ढंगसे सुलभ करते हुए, समाज की चेतना, उर्जा, शक्तिओं व क्षमताओं का विकास करते हुए, राष्ट्र भक्ति व राष्ट्र शक्ति का निर्माण तभी होगा, जब भांड मीडिया का सार्थक विकल्प "युग दर्पण समूह" सशक्त होगा ! उपरोक्त को मानने वाला राष्ट्रभक्त ही इस मंच से जुड़ सकता है.: :

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मंगलवार, 17 नवंबर 2015

विश्व हिंदू परिषद के पितामह अशोक सिंघल का निधन

विश्व हिंदू परिषद के पितामह अशोक सिंघल का निधन 
युगदर्पण समाचार 
17 नवंबर 2015    गुड़गांव 

अस्सी के दशक के अंतिम वर्षों और बाद के दिनों में राम जन्मभूमि आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले विहिप शिखर पुरुष अशोक सिंघल जी का आज यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डा प्रवीण तोगड़िया ने बताया कि सांस संबंधी और अन्य परेशानियों के बाद पिछले शनिवार को मेदांता मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराए गए, सिंघल का हृदय गति रूकने और सेप्टीसीमिया के कारण दिन में दो बजकर 24 मिनट पर निधन हो गया। 
श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन के कर्णधार, श्रीराम मंदिर के शिल्पकार, हिन्दू ह्रदय सम्राट के सम्बोधन से जाने जाते एवं आजीवन अविवाहित और आरएसएस प्रचारक रहे सिंघल ने, दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस तक कारसेवक अभियान चलाने में आक्रामक शैली अपनायी थी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से धातु विज्ञान इंजीनियरिंग में स्नातक, सिंघल ने अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में संगठन को आगे बढ़ाया। दुनिया भर में समर्थक बनाकर और शाखाएं लगाकर, इसे अंतरराष्ट्रीय पटल पर लाने की कोशिश की। विहिप के अभियान में विदेशी समर्थकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसके पूर्व मीनाक्षीपुरम में कथित कुलीन हिन्दुओं द्वारा मन्दिर प्रवेश रोकने की घटना के बाद सामूहिक धर्मान्तरण से हिलती समाज की नींव उस एक युगपुरुष को ऐसा झंझोड़ गई थी कि उसे धातु विज्ञान से समाज उत्थान की ओर मोड़ दृष्टी व ध्येय से युक्त साधक बना दिया। वहां जिनके लिए मंदिर के द्वार बंद हो चुके थे, 200 से अधिक मंदिर बनवा कर घर वापसी का मार्ग प्रशस्त कर समाज को एक नई दिशा दी। 
मुगलों अंग्रेजों व काले अंग्रेजों के शासन की मार से बीमार समाज की पीड़ाओं का उपचार करते करते वो साधक स्वयं राइट लोअर लोब निमोनिया से पीड़ित होने के बाद, सिंघल को उपचार के लिए अस्पताल की सघन चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया गया था। उन्हें 14 नवंबर की शाम से वेंटिलेटर पर रखा गया था। अस्पताल ने सोमवार को बताया था कि सांस संबंधी, तंत्रिका विज्ञान, गुर्दा, एंडोक्रीनोलॉजी विशेषज्ञों वाली एक टीम सिंह के उपचार में लगी थी। हिन्दू समाज का उपचारक जब रुग्ण था, चिकित्सक उसे बचा न सके। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंघल के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘अशोक सिंघलजी का निधन गहरी निजी क्षति है। वह अपने आप में एक संस्था थे, जिन्होंने आजीवन देश की सेवा की।’’ उन्होंने कहा कि उनका सौभाग्य है कि अशोकजी का उन्हें हमेशा आशीर्वाद और मार्गदर्शन मिला। उन्होंने कहा, ‘‘उनके परिवार और अनगिनत समर्थकों को मेरी संवेदनाएं।’’ प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि अशोक सिंघल कई अनूठी चीजों और सामाजिक कार्यों के प्रेरणास्रोत थे, जिनका फायदा गरीबों को मिला। ‘वह पीढियों के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं।’
सिंघल के पार्थिव शरीर को, रात में मध्य दिल्ली में झंडेवालान में आरएसएस कार्यालय में लाया जाएगा। तोगड़िया ने बताया कि बुधवार दिन में तीन बजे तक वहां उनके पार्थिव शरीर को रखा जाएगा, जिससे कि लोग अंतिम दर्शन कर सके। इसके बाद निगमबोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा। 
आगरा में दो अक्तूबर 1926 को जन्मे सिंघल ने वर्ष 1950 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के ‘इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी’ से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। वह वर्ष 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गये थे, लेकिन स्नातक की पढाई पूरी करने के बाद वह पूर्णकालिक प्रचारक बने। उन्होंने उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर काम किया और दिल्ली तथा हरियाणा के प्रांत प्रचारक बने। वर्ष 1980 में उन्हें विहिप में जिम्मेदारी देते हुए इसका संयुक्त महासचिव बनाया गया। वर्ष 1984 में वह इसके महासचिव बने और बाद में इसके कार्यकारी अध्यक्ष का पद सौंपा गया। इस पद पर वह दिसंबर 2011 तक रहे।
नकारात्मक मीडिया के लिए यह मात्र एक समाचार है किन्तु भारत और हिंदुत्व के लिए अपूरणीय क्षति की घडी है। विहिप को भले तोगड़िया के रूप में अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने पर भी अशोक जी का स्थान भर लिया जाये किन्तु उनके कार्य, उनका स्मरण कर सपनो को साकार हम करते रहेंगे, यही हमारी उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। परमात्मा समाज पर पड़ी समय की धूल को साफ करने ऐसे प्रेरणा पुञ्ज भेजते रहें। वन्दे -
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक 7531949051, 9910774607, 01125835525.
 यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक

सोमवार, 28 सितंबर 2015

फेसबुक के बाद अब मोदी गूगल में

फेसबुक के बाद अब मोदी गूगल में
अधिक से अधिक भारतियों को इंटरनेट से जोड़ने की एक पहल - 1 करोड़ रेल यात्रियों प्रतिदिन से शुभारम्भ 

जब मैं एक छात्र था, मैं चेन्नई सेंट्रल स्टेशन (तब मद्रास सेंट्रल के रूप में जाना जाता था) से आईआईटी खड़गपुर की दिन की रेल यात्रा पसंद करता था । मुझे विभिन्न स्टेशनों पर उन्मत्त ऊर्जा की याद आज भी ताजा है और मैं भारतीय रेल के अविश्वसनीय स्तर और विस्तार पर अचम्भा करता था । 
आज गूगलप्लेक्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

मुझे यह घोषणा करते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि ये भारत के रेलवे स्टेशन हैं, जो करोड़ों लोगों को ऑनलाइन लाने में सहायता करेंगे। गत वर्ष, भारत में 10 करोड़ लोगों ने पहली बार इंटरनेट उपयोग शुरू किया है। इसका अर्थ यह है कि भारत में अब चीन को छोड़ कर हर देश से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। किन्तु चौंकाने वाली बात ये है कि भारत में अभी भी 100 करोड़ से अधिक लोग ऑनलाइन नहीं हैं। 

हम इन 100 करोड़ भारतवासियों को ऑनलाइन लाने में सहयोग करना चाहते हैं - ताकि उन्हें पूरे वेब तक पहुँच मिल सके और वहां उपलब्ध जानकारी और अवसर भी । और किसी पुराने 'कनेक्शन' से नहीं - तेज़ 'ब्रॉडबैंड' से ताकि वे वेब का सबसे अच्छा अनुभव कर सकें । इसलिए आज, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के हमारे U.S. मुख्यालय में उपस्थित होने के अवसर पर और उनकी डिजिटल इंडिया पहल के अनुरूप, हमने भारत भर में 400 रेलवे स्टेशनों में सार्वजनिक उच्च गति वाई-फाई उपलब्ध कराने के लिए एक नई परियोजना की घोषणा की है। 

हमारी पहुंच और ऊर्जा टीम की, भारतीय रेलवेज, जो कि विश्व के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्कों में से एक चला रही है और रेलटेल, जो व्यापक फाइबर नेटवर्क के माध्यम से "रेलवायर" जैसी इंटरनेट सेवाएं प्रदान करता है, के साथ काम करते हुए आने वाले महीनों में पहले स्टेशनों को ऑनलाइन लाने की योजना है। यह नेटवर्क 2016 के अंत से पहले भारत में सबसे व्यस्त स्टेशनों में से 100 को कवर करने के लिए तेजी से विस्तार करेगा, और उसके बाद शीघ्र ही शेष स्टेशन कवर होंगे। 

जब मात्र पहले 100 स्टेशन ऑनलाइन होंगे, तब भी इस परियोजना के माध्यम से हर दिन 1 करोड़ से अधिक लोगों के लिए वाई-फाई उपलब्ध होगा। यह भारत में सबसे बड़ी सार्वजनिक वाई-फाई परियोजना होगी और संभावित उपयोगकर्ताओं की संख्या के दृष्टी से विश्व की सबसे बड़ी परियोजनाओं में गिनी जाएगी । यह वाई-फाई तेज़ भी होगा - भारत में अधिकतम लोग आज जो उपयोग करते हैं, उसकी तुलना में कई गुना तेज़ । इस से यात्री जितनी देर प्रतीक्षा कर रहे हैं, उतनी देर में एक उच्च परिभाषा ,वीडियो स्ट्रीम, कर पाएंगे, अपने गंतव्य के बारे में कुछ अनुसंधान कर पाएंगे या कुछ वीडियो, एक पुस्तक या एक नया खेल डाउनलोड कर पाएंगे। सबसे अच्छी बात, यह सेवा आरम्भ में निशुल्क होगी और भविष्य में इसे आत्मनिर्भर बनाने का दीर्घकालीन लक्ष्य है, ताकि रेलटेल और अधिक भागीदारों के साथ अधिक स्टेशनों और अन्य स्थानों में इसका विस्तार किया जा सके। 
इस नक्शे में वो पहले 100 स्टेशन दर्शाये गए हैं जहाँ 2016 के अंत तक उच्च गति वाई-फाई होगा
हमें लगता है कि यह 30 करोड़ से अधिक भारतीय जो पहले से ही ऑनलाइन हैं और लगभग एक अरब से अधिक है जो नहीं हैं, उनके लिए इंटरनेट को सुलभ और उपयोगी बनाने का एक महत्वपूर्ण भाग है। 

पर यह मात्र एक अंश है । अधिक भारतीयों को सस्ती, उच्च गुणवत्ता वाले 'स्मार्टफोन्स' प्राप्त करने के लिए, जो अधिकतम लोगों के लिए इंटरनेट का उपयोग प्राथमिक प्रयास है, हमने गत वर्ष एंड्राइड वन फ़ोन लांच किया था । सीमित बैंडविड्थ की चुनौतियों से निपटने में सहायता करने के लिए, हम हाल ही में मोबाइल वेब पृष्ठों को तेजी से और कम डेटा के साथ लोड करने की सुविधा लाये हैं, यूट्यूब ऑफ़लाइन उपलब्ध बनाया है और ऑफलाइन मैप्स जल्द ही आने वाला है। 

भारतीयों, जिनमे से कई अंग्रेजी नहीं बोलते, के लिए वेब सामग्री और अधिक उपयोगी बनाने में सहायता  करने के लिए और अधिक स्थानीय भाषा की सामग्री को बढ़ावा देने के लिए हमने गत वर्ष भारतीय भाषा इंटरनेट एलायंस प्रस्तुत किया है, और हमारे उत्पादों में अधिक से अधिक स्थानीय भाषा समर्थन का निर्माण किया है - हिंदी वॉयस खोज, उन्नत हिंदी कीबोर्ड और एंड्राइड के नवीनतम संस्करण में सात भारतीय भाषाओं के लिए समर्थन में सुधार । और अंत में, सभी भारतीयों को कनेक्टिविटी का लाभ लेने में मदद करने के लिए, हमने महिलाओं, जो कि आज भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का सिर्फ एक तिहाई भाग हैं, की सहायता  करने में अपने प्रयास और तेज़ किये हैं, ताकि वे वेब से अधिकतम लाभ उठा सकें। 

हज़ारों युवा भारतीय हर दिन चेन्नई सेंट्रल से निकलते हैं, जैसे मैं कई वर्ष पूर्व निकलता था, सीखने और जानने के लिए उत्सुक, और अवसर की खोज में । मेरी आशा है कि यह वाई-फाई परियोजना इन सब बातों को थोड़ा आसान कर देगी। 
सुन्दर पिचई, सीईओ, गूगल के द्वारा प्रकाशित 
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रविवार, 27 सितंबर 2015

फेसबुक मुख्यालय पर मोदी

फेसबुक मुख्यालय पर मोदी -
फेसबुक वॉल पर मोदी ने लिखा -अहिंसा परमोधर्म, सत्यमेव जयते, वन्देमातरम, माँ के बारे में कहा, "माता यह नहीं देखती बेटा कुछ बन जाये, अपितु बेटा क्या बने कैसे बने उसके लिए सारा जीवन समर्पित कर देती है। महिला सशक्तिकरण पर कहा, विश्व में भगवान पुरुष रूप में है किन्तु भारत में सदा से महिला देवी के स्थान पर पूजी गई हैं। समय के साथ समाज में दोष आये हैं, उन्हें दूर करना है। हमने पिता के साथ माता का नाम भी लिखने की व्यवस्था की है। बैंक राष्ट्रीयकरण के 40 वर्ष में जो नहीं हुआ, अब 100 दिन में 18 करोड़ बैंक खाते खुले हैं। आज विश्व बैंक का भारत के प्रति दृष्टिकोण भी सकारात्मक हुआ। ऐसी अनेक उपलब्धियां गिनाते हुए, अंत में अपने विकास में अपनी माता की भूमिका त्याग का उल्लेख करते भावुक हुए मोदी। 
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सोमवार, 21 सितंबर 2015

मीडिया एक जनून

मीडिया एक जनून 
युग दर्पण एक व्यवसाय नहीं, अपितु स्वस्थ मीडिया के लिए जनून है। एक व्यवसाय का संहार हो सकता है, किन्तु एक सृजनात्मक जनून का नहीं। सन 2001 से पंजी युगदर्पण राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र हिंदी में लघु आकार सम्पूर्ण व स्वस्थ समाचार, संस्कार युक्त विचार तथा 2010 से इंटरनेट से जुड़ा तो 70 देशों में एक विशिष्ठ पहचान अर्जित की है, जिसमे विविध विषयों के 30 ब्लॉग फेसबुक में 9 समूह 7 समुदाय पेज ट्वीटर रेडिफ शामिल है। ऑरकुट भी था। तथा 5 नेट चैनल हैं। 
Media my Passion 
Yug Darpan is not a profession but the passion for Healthy Media. A profession may destruct but a passion can't, will never die YDMS.
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, 
देश की जड़ों से जुड़ें, युगदर्पण के संग 
-युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक 7531949051, 9911111611 
बनते हैं 125 करोड़ शेयर -Share and Share, to reach 125 Crore 
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
 देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता |
आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, योग्यता
व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक

विकासशील भारत के अवरोध

विकासशील भारत के अवरोध 
वन्देमातरम, 
मित्रों, देश के इस बदले राजनैतिक परिवेश में, भारत के विकास के प्रति अनंत आकांक्षाएं पुन: जाग उठी हैं। साथ ही अवरोध भी खड़े करने के प्रयास किये जा रहे हैं। स्वतंत्रता पूर्व नेता जी सुभाष को हटा, गांधीने नेहरू को थोपकर, देश को जो आघात पहुँचाया, उसे 
सार्वजनिक करने तथा उसके घाव भरने का यह सर्वोचित अवसर है। किन्तु गांधी से राष्ट्रवाद को भी  जो क्षति पहुंची उसे दोहराया न जाये, इसके लिए सतर्कता की आवश्यकता है। अखंड राष्ट्रनिष्ठा की भी आवश्यकता है। 
जिन्होंने सोने की चिड़िया देश को लूट दुर्गति बनाई, वे ही गरीबों शोषितों की राजनीति के नाम से पाखंड कर हमें भ्रमित न करें। अत: इस समूह में अधिक से अधिक जुड़ें। तथा लेखन से समाज को जगाये रखें। सांस्कृतिक विरासत सहित -
‘‘माता भूमिः पुत्रो ऽहं पृथिव्याः’’ 
‘उत्तिष्ठित् जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत’ 
कैसे करें शत्रु और मित्र की पहचान -जो 67 वर्ष देश को लूटते रहे, अब अपने पाप, एक राष्ट्र समर्पित शासन पर थोप रहे है। क्या आप सहमत हैं ? 
हाँ या न -युदस 
शेयर करें,  शेयर करो तिलक YDMS 7531949051 
देश के नकारात्मक बिकाऊ शर्मनिरपेक्ष मीडिया का एकमात्र सकारात्मक सार्थक राष्ट्रवादी विकल्प का संकल्प युदमीस YDMS -तिलक 
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | मानवतावादी वेश में आया रावण |
भारतीय संस्कृति में ही हमारे प्राण है | संस्कृति की रक्षा करना हमारा दायित्व || -तिलक
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक

गुरुवार, 17 सितंबर 2015

जीवेत शरद: शतम्,

जीवेत शरद: शतम्,
जीवेत शरद: शतम्, ''ईश्वर आपको अच्छा स्वास्थ्य और राष्ट्र की सेवा करने के सभी प्रयासों में आपके सफलता एवं आज के इस महाराणा प्रताप '65 वर्षीय प्रमं नरेंद्र मोदी जी' को परमात्मा जयचंदो- मानसिंहों के सभी कुचक्रों से बचाये।’’ इन शुभकामनाओं सहित - तिलक, युगदर्पण मीडिया समूह 7531949051.अब हम सब मिलकर बिकाऊ मैकालेवादी, शर्मनिरपेक्ष मीडिया को परास्त कर सकते हैं। इसका एक मात्र सार्थक, व्यापक, विकल्प युगदर्पण "राष्ट्र वादी मीडिया" सुदृढ़ हो सकता है।http://yugdarpans.simplesite.com/420221452
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सोमवार, 10 अगस्त 2015

अमर शहीद खुदीराम बोस

अमर शहीद खुदीराम बोस 
धोतियों पर 'खुदीराम' लिखने लगे थे बंगाल के जुलाहे 
19 वर्षीय शहीद खुदीराम बोस अपने क्रांतिकारी तेवरों के चलते बहुत लोकप्रिय थे। उन्हें फांसी होने के बाद बंगाल के जुलाहे ऐसी धोतियाँ बुनने लगे जिनकी किनारी पर खुदीराम लिखा होता था। 
11 अगस्त 2015,  नई दिल्ली 

स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में खुदीराम बोस एक ऐसा नाम है जो देशवासियों को सदा देशभक्ति की प्रेरणा देता रहेगा। इस नवयुवक ने मात्र 19 वर्ष की आयु में ही देश के लिए अपना बलिदान दे दिया था। तीन दिसंबर 1889 को पश्चिम बंगाल के मेदनीपुर में जन्मे खुदीराम ने स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने की उत्कंठा के चलते नौवीं कक्षा के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी थी। खुदीराम स्वदेशी आंदोलन में कूद गए और क्रन्तिकारी संगठन पार्टी का सदस्य बनकर वंदे मातरम् पत्रक वितरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में भड़के आंदोलन में खुदीराम बोस ने बढ़−चढ़ कर भाग लिया। अंग्रेजों ने 28 फरवरी 1906 को उन्हें बंदी बना लिया किन्तु वह कैद से भाग निकले। दो माह बाद वह फिर से पकड़े गए।
सरकार ने उन्हें आजादी की राह से भटकाने का प्रयास किया किन्तु इस युवक के निश्चय और साहस पर कोई अंतर नहीं पड़ा। अंततः 16 मई 1906 को उन्हें रिहा कर दिया गया। इतिहासवेत्ता शिरोल के अनुसार खुदीराम बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में अत्यधिक लोकप्रिय थे, जिनके बलिदान के बाद नवयुवकों में देशभक्ति की तीव्र उमंग पैदा हो गई थी। छह दिसंबर 1907 को खुदीराम ने नारायणगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के तत्कालीन गवर्नर की विशेष गाड़ी पर हमला किया किन्तु वह बाल−बाल बच गया।
खुदीराम ने 1908 में दो अंग्रेज अधिकारियों वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर पर हमला किया किन्तु वे भी बच निकले। वह मुजफ्फरपुर के सेशन जज किंग्सफोर्ड से अति रुष्ट थे जिसने क्रांतिकारियों को कठोर दंड दिया था। उन्होंने अपने साथी प्रफुल्ल चंद्र चाकी के साथ मिलकर सेशन जज से प्रतिशोध लेने की ठानी। दोनों मुजफ्फरपुर आए और 30 अप्रैल 1908 को जज की गाड़ी पर बम से हमला किया  किन्तु उस समय इस गाड़ी में जज की जगह दो यूरोपीय महिलाएं सवार थीं।
किंग्सफोर्ड के धोखे में दोनों महिलाएं मारी गईं जिसका खुदीराम और चाकी को बहुत दुःख हुआ। पुलिस उनके पीछे लग गई और वैनी रेलवे स्टेशन पर उन्हें घेर लिया। अपने को घिरा देख प्रफुल्ल चंद्र चाकी ने स्वयं को गोली मारकर बलि दे दी जबकि खुदीराम पकड़े गए। 11 अगस्त 1908 को उन्हें मुजफ्फरपुर जेल में फांसी दे दी गई। फांसी के समय उनकी आयु मात्र 19 वर्ष थी। इतिहासवेत्ता शिरोल के अनुसार फांसी के बाद खुदीराम इतने लोकप्रिय हो गए कि बंगाल के जुलाहे ऐसी धोती बुनने लगे जिनकी किनारी पर खुदीराम लिखा होता था। राष्ट्रवादियों ने शोक मनाया और विद्यार्थियों ने कई दिनों तक स्कूल−कॉलेजों का बहिष्कार किया। 
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया,
तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक
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